बदायूं विधान सभा क्षेत्र के कथित आदर्शवादी विधायक आबिद रजा पर खबरों में बने रहने का ऐसा नशा सवार हुआ है कि कभी प्रायोजित, तो कभी पत्रकार वार्ता आयोजित कर कुछ न कुछ प्रकाशित कराते रहते हैं, जिससे उनकी बड़ी फजीहत हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार खुद ही गलत करते हैं और किसी तरह सही हो जाने पर श्रेय भी लेने का प्रयास करते हैं, ऐसा वे अक्सर करते रहे हैं। बिजली की भूमिगत लाइन को लेकर उन्होंने शुक्रवार को भी ऐसा ही प्रयास किया, जिससे जनता के बीच हास्य का पात्र बने हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि बदायूं शहर में बिजली की चोरी बड़े पैमाने पर होती रही है, साथ ही तार आये दिन टूटते रहते हैं, जिससे विभाग और उपभोक्ता, दोनों ही त्रस्त थे, इस समस्या से निजात दिलाने के लिए शासन ने बदायूं शहर में बिजली की लाइन जमीन के अंदर डालने की संस्तुति दे दी। जमीन के अंदर लाइन डालने वाली कंपनी पर कथित आदर्शवादी सदर विधायक आबिद रजा दबाव बना रहे थे, उनके दबाव में कई मोहल्लों से कंपनी की लाइन खोदने वाले मजदूर भगा दिए गये, साथ ही ईओ द्वारा तार भी जब्त किये गये, पर कंपनी दबाव में नहीं आई, तो प्रेस वार्तायें आयोजित कर वे 22 करोड़ 64 लाख 40 हजार रूपये मांगने लगे एवं समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर मनगढ़ंत आरोप लगाने लगे, यह सब करने से भी न कंपनी दबाव में आई और न समाजवादी पार्टी के नेता, उल्टा प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा से उन्हें निष्कासित कर दिया, उनके साथ बवंडर करने वाली उनकी पत्नी नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष फात्मा रजा को भी सपा से निष्कासित किया गया।
नगर पालिका परिषद आदि 22 करोड़ 64 लाख 40 हजार रूपये दिलाने की मांग लेकर उच्च न्यायालय की शरण में चले गये, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने 22 करोड़ 64 लाख 40 हजार रूपये देने की बात नहीं मानी। न्यायालय ने कहा कि यूपीईआरसी नियम के अनुसार जांच करे और बताये कि कितना रुपया दिया जाये, साथ ही न्यायालय ने कहा कि शासन ने 4 करोड़ 49 लाख 12 हजार 110 रूपये की जो धनराशि अनुमन्य की है, वह पालिका को तत्काल दे दी जाये, इस पर कथित आदर्शवादी विधायक आबिद रजा ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता आयोजित की और स्वयं की जीत का नगाड़ा बजाया, लेकिन यह नहीं बताया कि न्यायालय ने 22 करोड़ 64 लाख 40 हजार रूपये के फर्जी स्टीमेट को नहीं माना। न्यायालय ने 4 करोड़ 49 लाख 12 हजार 110 रूपये की, जो धनराशि देने को कहा है, वह शासन पहले ही स्वीकृत कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि कथित आदर्शवादी विधायक आबिद रजा ने ऐसा पहली बार नहीं किया है, इससे पहले भी वे ऐसी नौटंकी करते रहे हैं। सरकार बनने के बाद उन्होंने अपने क्षेत्र के राशन माफिया को पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में बुलाया था और रूपये देने का वीडियो बनवा लिया, जिसे दिखा है उन्होंने स्वयं को हरिश्चन्द्र से भी बड़ा ईमानदार घोषित करने का प्रयास किया था, जबकि वही राशन माफिया आज उनका सर्वाधिक चहेता है, साथ ही उसकी पत्नी को ब्लॉक प्रमुख बनवाने के लिए आबिद रजा ने सभी नियम कानून उठा कर ताक में रख दिए थे, इसी तरह उन्होंने कब्रिस्तानों की चाहरदिवारी में घपला होने की शिकायत की। शिकायत के बाद संबंधित ठेकेदार अरविंद वार्ष्णेय उनकी शरण में आ गया, तो उसकी पत्नी को भी ब्लॉक वजीरगंज का प्रमुख बनवा दिया एवं उसके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पहले दिल्ली गये और फिर वहां से हेलीकॉप्टर द्वारा वजीरगंज पहुंचे, इस सबके बीच उनके द्वारा की गई शिकायत पर जाँच के बाद अरविंद वार्ष्णेय सहित सभी ठेकेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया गया, लेकिन बेशर्मी की सीमा पार करते हुए कथित आदर्शवादी विधायक आबिद रजा प्रेस वार्ता आयोजित करना नहीं भूले।
बिजली की भूमिगत लाइन के मुददे पर भी न्यायालय ने उनके 22 करोड़ 64 लाख 40 हजार रूपये के फर्जी स्टीमेट को नहीं माना, इसके बावजूद अपनी जीत बता कर वे जनता को भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास करते नजर आ रहे हैं। कथित आदर्शवादी आबिद रजा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर रहा है, जिसके बारे में जनता भली-भांति जान गई है, इसीलिए अब उनके द्वारा की जाने वाली नौटंकी पर जनता भ्रमित नहीं होती, उल्टा उनकी ही फजीहत करती है।
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