तमंचे सहित पकड़े जाने पर जेल जा चुके हैं आदर्शवादी आबिद

तमंचे सहित पकड़े जाने पर जेल जा चुके हैं आदर्शवादी आबिद

बदायूं लोकसभा क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद धर्मेन्द्र यादव को परदेसी कहने पर जनता के आक्रोश का शिकार नजर आ रहे सदर विधायक आबिद रजा पत्नी फात्मा रजा सहित समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिए गये हैं। अब पति-पत्नी सजा और कुर्बानी की बात कर रहे हैं, जिससे यह तो स्पष्ट हुआ कि वे समाजवादी पार्टी में मौज ले रहे थे, तभी निकाले जाने को सजा मान रहे हैं।

खैर, हाल-फिलहाल आदर्श और नैतिकता की बातें कर रहे आबिद रजा के अतीत की बात करते हैं, तो इनका चर्चित आपराधिक इतिहास रहा है। पुलिस रिकॉर्ड में आबिद पर एक दर्जन से अधिक मुकदमे पंजीकृत हैं। सदर कोतवाली में मुकदमा अपराध संख्या- 489/98 धारा- 307 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ था, अगले वर्ष- 1999 में 636/99 धारा- 420, 467, 468, 471, 504, 384 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ, इसी वर्ष 427/99 धारा- 399, 323, 504, 506 आईपीसी के रूप में दर्ज है, इसी वर्ष 664/99 धारा- 504, 506 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ। अगले वर्ष- 2000 में मुकदमा अपराध संख्या- धारा- 307, 324, 506 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ, इसी वर्ष 61/2000 धारा- 420, 467, 468, 471, 506 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ, इसी वर्ष 393/2000 धारा- 25 (ए) अधिनियम के तहत दर्ज हुआ, इसी वर्ष 394/2000 धारा- 177, 207, 182, 192, 196 आईपीसी एमबी एक्ट के तहत दर्ज हुआ था, इसके बाद वर्ष- 2009 में 265/09 धारा- 147, 148, 149, 307 आईपीसी और एसटी/एससी एक्ट तहत दर्ज हुआ था, साथ ही 24 जुलाई 2007 को आबिद की पुलिस के द्वारा हिस्ट्रीशीट खोली गई थी, इस सबके अलावा अन्य थाना क्षेत्रों में भी कई प्राथमिकी दर्ज हैं, इन सभी मुकदमों के बारे में अभी तक यह ज्ञात नहीं हो सका है कि न्यायालय में कार्रवाई की स्थिति क्या है।

किसी के अतीत से वर्तमान का आंकलन नहीं किया जा सकता। इतिहास में कई ऐसे पात्र दर्ज हैं, जो कभी कुख्यात डाकू थे, लेकिन कर्म परिवर्तित होने के बाद महान संतों में भी गिने जाते हैं, पर आबिद के साथ ऐसा नहीं है, उन पर आज भी तमाम गंभीर आरोप हैं, जो सत्ता पक्ष का विधायक होने के चलते पुलिस ने दर्ज नहीं किये हैं। मोहल्ला कबूलपुरा स्थित प्राचीन कब्रिस्तान के साथ प्राचीन सोत नदी को भी कब्जाने का उन पर आरोप है, साथ ही सामान्य परिवार में जन्मे आबिद पर करोड़ों रूपये की चल-अचल संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप है। स्वयं को आदर्शवादी घोषित करने का प्रयास कर रहे आबिद रजा के साथ स्थानीय जनता इसीलिए खड़ी नहीं हो पा रही कि उनके कारनामे सभी को ज्ञात हैं।

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