बदायूं जिले के भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष कुलदीप वार्ष्णेय द्वारा कन्हैया पर दिये गये बयान से राजनीति में भूचाल आ गया है। विवादित बयान को लेकर विपक्षी दलों के नेता कुलदीप की कड़ी आलोचना करते नजर आ रहे हैं, वहीं भाजपा नेता भी कुलदीप की शर्मनाक अंदाज में आलोचना करते दिख रहे हैं। बदायूं के भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य कुलदीप को भाजपाई ही नहीं मान रहे, वहीं पांचाल क्षेत्र के अध्यक्ष बीएल वर्मा शर्मनाक अंदाज में कुलदीप को पागल करार दे रहे हैं, जबकि कुलदीप भाजयुमो के मथुरा में चल रहे राष्ट्रीय अधिवेशन की सफलता के लिए पिछले कई दिनों से जुटे हुए थे और इस समय अपनी टीम व तमाम कार्यकर्ताओं के साथ मथुरा में ही उपस्थित हैं, इसीलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ आम जनता में कुलदीप के विरुद्ध दिए जा रहे भाजपा नेताओं के बयान पर नाराजगी नजर आ रही है, साथ ही अधिकांश लोग निंदा करते हुए नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कुलदीप वार्ष्णेय प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी यूएनआई के लंबे समय तक जिला स्तरीय संवाददाता रहे हैं। पत्रकारिता को छोड़ कर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली और उन्हें जुलाई 2013 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष का अहम दायित्व दिया गया। पत्रकारिता में लंबा अनुभव और पत्रकारों से अच्छे संबंध होने के बावजूद कुलदीप ने जमीन पर जुटना स्वीकार किया। कुलदीप चाहते, तो मीडिया में बयानबाजी करते हुए ही राजनीति करते रहते, लेकिन कुलदीप ने ऐसा नहीं किया और भाजपा को मजबूत करने के लिए जुट गये। समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले बदायूं जिले में भाजयुमो की अधिकांश स्थानों पर कमेटियां गठित कर दीं। भाजयुमो के पदाधिकारी और कार्यकर्ता जिले भर में नजर आने लगे, जिससे कुलदीप की लोकप्रिया भी चरम पर पहुंच गई, इस बीच कुलदीप ने फरवरी 2015 में पदयात्रा निकाली, जिसके अंतर्गत वे गांवों में गये, जिससे भाजयुमो और कुलदीप वार्ष्णेय छा गये, तो भाजपा के मठाधीश उनसे चिढ़ने लगे।
जनाधार विहीन नेता कुलदीप के पीछे पड़ गये। राजनीति में उभरते हुए व्यक्ति की टांग खींचना आम बात है, लेकिन चकित कर देने वाली बात यह है कि जुलाई-अगस्त 2015 में कुलदीप को हेपेटाईटिस बी जैसी गंभीर बीमारी हुई, जिससे डॉक्टर ने पूर्णतयः आराम करने की सलाह दी, इस बीच निवर्तमान जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक ने कुलदीप को भाजपा से निष्कासित करने की संस्तुति कर प्रदेश मुख्यालय को भेज दी, पर प्रदेश नेतृत्व ने कर्मठ कुलदीप के विरुद्ध रचे गये षड्यंत्र पर ध्यान नहीं दिया। अब वर्तमान जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य उसी संस्तुति का उल्लेख करते हुए कुलदीप को भाजपा से बाहर बता रहे हैं, वहीं पांचाल क्षेत्र के अध्यक्ष बीएल वर्मा हेपेटाइटिस बी जैसी जानलेवा बीमारी से जूझने वाले कुलदीप के प्रति संवेदना व्यक्त करने की जगह पागल करार देते नजर आ रहे हैं, साथ ही दावा कर रहे हैं कि कुलदीप का दिल्ली में उपचार चल रहा है। चूँकि राजनीति और जिंदगी से कुलदीप के जूझने की जानकारी हर आम कार्यकर्ता और आम जनता को है, इसीलिए अधिकांश लोग कुलदीप के विरुद्ध बयान देने वाले भाजपा नेताओं से न सिर्फ नाराज नजर आ रहे हैं, बल्कि निंदा भी करते दिख रहे हैं।
कुल मिला कर कन्हैया पर दिया गया कुलदीप का बयान सही नहीं कहा जा सकता, लेकिन स्थानीय भाजपा नेता विवादित बयान के सहारे कुलदीप को ठिकाने लगाना चाहते हैं। जमीन से जुड़े कर्मठ नेता कुलदीप को भाजपा से निकलवा कर अपना रास्ता साफ करना चाहते हैं और हाल-फिलहाल वे कामयाब भी होते नजर आ रहे हैं।
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