बदायूं जिले में ओछी और स्वार्थ की राजनीति के चलते भाजपा के लिए हालात बदतर होते जा रहे हैं। जमीन से जुड़े जनाधार वाले नेताओं को न सिर्फ किनारे करने के प्रयास किये जा रहे हैं, बल्कि स्वामी भक्त नौकरों को अहम दायित्व दिए जा रहे हैं। जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक पर अपने नौकर को भाजपा किसान मोर्चा का जिलाध्यक्ष मनोनीत करने का आरोप लगा है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अंग है, जिसके बारे में कहा जता है कि भाजपा अन्य पार्टियों से अलग है, इसमें लोकतंत्र है, साथ ही जमीन पर कार्य करने वालों को अहमियत दी जाती है। भाजपा में यह मूल गुण हो भी सकते हैं, लेकिन बदायूं जिले की भाजपा में कुछ और ही हो रहा है। कुछ स्वार्थी नेता यह सिद्ध करने में जुटे हैं कि कीचड़ बढ़ने से कमल और खिलेगा, जबकि कीचड़ ज्यादा बढ़ जाने से कमल दब गया है।
पार्टी पर एकाधिकार कायम करने के प्रयास में पिछले दिनों जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक ने जनप्रिय व लोकप्रिय नेता पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल और भाजयुमो जिलाध्यक्ष कुलदीप वार्ष्णेय को पार्टी से निकालने की संस्तुति कर दी, जिससे उनकी काफी फजीहत हुई, साथ ही किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष सोमेन्द्र सिंह सोलंकी को हटा दिया। आश्चर्य की बात यह है कि उनकी जगह ऐसे व्यक्ति को दायित्व सौंपा है, जिसका पार्टी और राजनीति में कोई योगदान ही नहीं है। उन्होंने विनोद शर्मा को किसान मोर्चा का जिलाध्यक्ष मनोनीत कर दिया है। बताया जाता है कि उनके दूध के प्लांट पर कार्य करने वाले विनोद उनके वफादार नौकरों में से एक हैं।
इस मुददे पर किसान मोर्चा की बरेली क्षेत्र की महामंत्री सीमा चौहान का कहना है कि भाजपा जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक ने पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बना दिया है, वे अपने घर के नौकरों को प्रमुख पदों पर आसीन कर पार्टी में मनमानी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रेम स्वरूप पाठक को अधिकार ही नहीं है कि वे किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष को हटा दें और किसी को मनोनीत कर दें। बोलीं- प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल तोमर को ही अधिकार है, इस प्रकरण से उन्हें अवगत करा दिया गया है। अब सही और गलत का निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही करेगा।
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