बदायूं के जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी और उनके अधीनस्थों को कक्ष और रूम में अंतर नहीं पता, जिससे जिलाधिकारी सहित मौके पर मौजूद रहे सभी अफसरों की जमकर फजीहत हो रही है। चर्चा यह भी है कि जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी को अपने नाम के पत्थर लगवाने की इतनी खुशी और जल्दी थी कि गलती पर ध्यान तक नहीं दिया।
जिला कोषागार में ड्यूटी करने वाले सिपाहियों के लिए विश्राम और आवास की व्यवस्था नहीं थी, जिससे सिपाहियों को बड़ी समस्या होती थी, जिससे सिपाहियों की सहूलियत के लिए कक्ष का निर्माण कराया गया। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग के प्रान्तीय खण्ड द्वारा 15 लाख 38 हजार रूपए में कक्ष तैयार किया गया।
कक्ष का आज जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने फीता काट कर उद्घाटन किया, लेकिन चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के साथ मौके पर मौजूद अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) राजेन्द्र प्रसाद यादव, नगर मजिस्ट्रेट अजय कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ कोषाधिकारी प्रवीन कुमार त्रिपाठी, जिला पंचायत राज अधिकारी राजेश यादव का गलती की ओर ध्यान तक नहीं गया। इसके अलावा सहायक कोषाधिकारी शकील अहमद अंसारी, अकरम हुसैन, भूप सिंह, राजीव सक्सेना, हरि प्रसन्न शर्मा, मोहित रस्तोगी, राजेश सक्सेना, राजीव और राम बहादुर सहित अन्य तमाम कर्मचारी भी मौजूद रहे, पर गलती पर इनका भी ध्यान गया।
कक्ष की दीवार में बड़ा सा पत्थर लगाया गया है, जिस पर जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का बड़े अक्षरों में नाम अंकित किया गया है कि उनके द्वारा उदघाटन किया गया, इस पत्थर पर सबसे ऊपर की लाइन में कक्ष और रूम लिखा हुआ है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया, जबकि कक्ष और रूम का अर्थ एक ही है। कक्ष हिंदी और रूम अंग्रेजी में कहते हैं, इसलिए सभी अफसरों की बड़ी फजीहत हो रही है।
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