मान्यता है कि द्वापर युग में पुत्रमोह के चलते धृतराष्ट्र ने अनैतिकता, अत्याचार और झूठ को इतना बढ़ावा दिया कि इतिहास का सबसे भयानक युद्ध महाभारत हो गया। इतिहास से सबक लेने की जगह पुत्रमोह में फंसे जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी भी बदायूं जिले में अत्याचार, भ्रष्टाचार और दबंगई को खुलेआम बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं, जिससे न सिर्फ उनकी, बल्कि समूचे प्रशासन व शासन की फजीहत हो रही है।
जी हाँ, बदायूं के जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी पुत्रमोह में फंसे हैं, जिसके चलते वे अपने दायित्व का दुरूपयोग कर चुके हैं और अब नेताओं और माफियाओं के दबाव में अत्याचार, भ्रष्टाचार और दबंगई को बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं। चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी बदायूं जिले में 12 फरवरी 2013 से 26 मई 2014 तक जिलाधिकारी रहे थे, उनके बाद शंभूनाथ तैनात किये गये और शंभूनाथ के बाद पुनः चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ही तैनात कर दिए गये। 31 मार्च 2016 को कार्यभार ग्रहण करने के बाद से वे जिलाधिकारी हैं।
चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी पर पहले कार्यकाल में खनन माफियाओं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे थे, लेकिन दूसरे कार्यकाल में तो सीमा ही पार हो गई है। बदायूं में दातागंज तिराहे पर प्राचीन व ऐतिहासिक तालाब माफियाओं द्वारा कब्जाया जा रहा है, लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी न सिर्फ मौन रहे, बल्कि उन्होंने माफियाओं के पक्ष में खुल कर बयान जारी कराया, जिसमें कहा गया कि दातागंज तालाब के पास कभी कोई तालाब था ही नहीं। चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के बयान के बाद तालाब बचाने की मुहिम चला रहे लोगों को गहरा आघात लगा और डर में मौन हो गये, क्योंकि चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के बयान के बाद भी लोग तालाब बचाने के लिए आंदोलन करते, तो उन्हें पुलिस से पिटवाया जाता और उनके विरुद्ध फर्जी मुकदमे भी दर्ज करा दिए जाते। इसके अलावा चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के कार्यभार ग्रहण करते ही गंगा से पुनः बड़े स्तर पर खनन का अवैध धंधा शुरू हो गया। सूत्रों का कहना है कि प्रतिदिन दो हजार से भी अधिक ट्रैक्टर-ट्राली गंगा से रेत भर कर निकाले जा रहे हैं।
अवैध खनन और प्राचीन चंदोखर तालाब व सोत नदी पर हो रहे अवैध कब्जों को लेकर चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी की नकारात्मक भूमिका के पीछे उनका पुत्रमोह कारण बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने बेटे अनंत प्रकाश त्रिपाठी और उसके एक मित्र को अपने पिछले कार्यकाल में जिला अस्पताल से इन्टर्नशिप पूरी करा दी थी, जबकि उन दिनों दोनों पढ़ाई कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का बेटा अनंत प्रकाश त्रिपाठी और उसका मित्र जिला अस्पताल में एक भी दिन घूमने तक नहीं आये, लेकिन इन्टर्नशिप पूरी करने का प्रमाण दे दिया गया, साथ ही आश्चर्य की बात यह है कि दोनों को इन्टर्नशिप के दौरान वेतन भी दिया गया।
चिकित्सा विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि इन्टर्नशिप करना अनिवार्य होता है, जिसके लिए पहले संबंधित चिकित्सालय से एनओसी ली जाती है, उसके बाद संबंधित कॉलेज अभ्यर्थी को इन्टर्नशिप करने की सहमति देता है, जिस पर प्रदेश का शिक्षा व चिकित्सा विभाग अनुमति प्रदान करता है, उसके बाद अभ्यर्थी संबंधित चिकित्सालय में प्रतिदिन उपस्थित होकर विधिवत मरीजों को देखता है। एक वर्ष की इन्टर्नशिप के दौरान दो माह मेडीसिन संबंधी, दो माह सर्जरी संबंधी, एक माह बच्चों से संबंधित, एक माह हड्डी रोग से संबंधित, 15 दिन आँख के रोगों से संबंधित, 15 दिन कान के रोगों से संबंधित, 15 दिन इमरजेंसी सेवाओं से संबंधित, 15 दिन एक्स-रे से संबंधित, दो माह महिलाओं से संबंधित और दो माह ग्रामीण क्षेत्रों के पीचसी, या सीएचसी पर जाकर सेवायें देनी होती हैं, इस दौरान प्रत्येक वार्ड के रजिस्टर में स्वयं मरीज का नाम, पता और दवा आदि लिखनी पड़ती है, साथ ही मरीजों को दवा लाने के लिए पर्ची लिखनी पड़ती है, जबकि चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का बेटा अनंत प्रकाश त्रिपाठी इन्टर्नशिप के लिए बदायूं कभी आया तक नहीं, जबकि रिकॉर्ड में लिखा है कि 1 जून 2013 से लेकर मार्च 2014 तक उसने जिला अपस्ताल में इन्टर्नशिप की।
सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के पुत्रमोह में कराये गये अनैतिक कार्य की भनक नेताओं और माफियाओं को लग गई, तो उन्होंने शासन स्तर पर राजनैतिक प्रभाव का प्रयोग करते हुए पुनः चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी की बदायूं जिले में जिलाधिकारी के रूप में तैनाती करा ली। जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी नेताओं और माफियाओं के इशारे पर काम करते हुए सोत नदी, चंदोखर तालाब पर कब्जा करा रहे हैं और गंगा से अवैध खनन कराने में भी मदद कर रहे हैं, लेकिन उच्च स्तरीय जांच हुई, जो जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी तो फंसेगे ही, उनका बेटा अनंत प्रकाश त्रिपाठी भी संकट में पड़ सकता है।
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