बदायूं के भू-माफिया प्रशासन पर ही नहीं, बल्कि शासन और सत्ता पर भी हावी हैं। अब तक तालाब रात में तालाब कब्जा रहे थे, लेकिन मंगलवार से दिन में भी ट्रैक्टर-ट्राली, जेसीबी चलने लगे हैं। खुलेआम खनन भी कराया जा रहा है, यह सब गॉड फादर के आने के बाद शुरू हुआ है। तेजतर्रार एसएसपी के छुट्टी जाने को लेकर भी कई तरह की चर्चायें होने लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 23 मई को बदायूं आये थे और तालाब की कब्जाई गई भूमि पर रैली कर वापस चले गये। तालाब कब्जाने का प्रकरण मीडिया में छाया हुआ था, जिससे प्रशासन ने मुख्यमंत्री के आने से पहले माफियाओं से कह कर तालाब कब्जाने का कार्य बंद करा दिया था, जो मुख्यमंत्री के जाने के बाद भी बंद रहा, लेकिन 4 जून की रात में माफियाओं ने बड़े पैमाने पर तालाब को कब्जाना शुरू कर दिया, जिसकी सूचना तेजतर्रार एसएसपी सुनील कुमार सक्सेना तक पहुंची, तो उन्होंने रात में ही पुलिस भेज कर माफियाओं के ट्रैक्टर-ट्राली, जेसीबी आदि तालाब की जगह से हटवा दिए।
तालाब पर कब्जा होना बंद हो गया, तो लोग झूम उठे और एसएसपी की प्रशंसा करने लगे, इस बीच जिले में नेताओं और माफियाओं का गॉड फादर आया, जिसके बाद तालाब पर अंधेरे में होने वाला कब्जा पुनः दिनदहाड़े होने लगा। तेजतर्रार एसएसपी सुनील कुमार सक्सेना छुट्टी पर चले गये हैं, जिससे कई तरह की चर्चायें होने लगी हैं। लोग तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि अपने रहते वे यह सब नहीं होने देते, इसलिए छुट्टी चले गये होंगे।
यह भी बता दें कि बदायूं में दातागंज तिराहे के पास कई एकड़ क्षेत्र में फैला चंदोखर नाम का विशाल प्राचीन तालाब था, इस तालाब को बेखौफ भू-माफियाओं द्वारा कब्जाने की शुरुआत में ही मोहल्ला नई सराय के लोगों ने प्रशासनिक अफसरों से शिकायत भी की, लेकिन दबाव के चलते माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई, इसके बाद परेशान लोगों ने प्रशासन और माफियाओं के विरुद्ध आंदोलन चलाया, तो परेशान नागरिकों के विरुद्ध ही मुकदमा दर्ज करा दिया गया, साथ ही पुलिस से पूरे इलाके में दहशत कायम करा दी गई, जिससे लोग मौन हो गये। अब दिनदहाड़े तालाब की हत्या की जा रही है, साथ ही बसंतनगर मार्ग पर स्थित एक बड़े खेत से मिटटी का खनन कराया जा रहा है, जो ट्रैक्टर-ट्राली से लाकर चंदोखर तालाब में डाली जा रही है। उक्त प्रकरण में पुलिस सीधे कुछ कर भी नहीं सकती। पुलिस का काम प्रशासन की सहायता करना है, लेकिन समूचा प्रशासन दबाव में है और तालाब के प्रकरण में कुछ भी सुनने तक को तैयार नहीं है।
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