बदायूं में दिनदहाड़े कब्जाये जा रहे प्राचीन चंदोखर तालाब को प्रशासन नकार चुका है, जबकि तालाब का आधा भाग आज भी स्पष्ट नजर आ रहा है, साथ ही समतल किया हुआ हिस्सा भी अलग दिख रहा है। तालाब की जमीन के बैनामे जिस कंपनी के नाम कराये गये हैं, वह सिर्फ कागजों में ही संचालित की जा रही है। बैनामे में दर्शाये गये कंपनी के पते पर कार्यालय नहीं है, इसके अलावा गूगल मैप आज भी मौके पर तालाब दर्शा रहा है। तालाब से जुड़े खसरा और पुराने रिकॉर्ड की नकल लेने का प्रयास किया गया, लेकिन तहसील प्रशासन हाल-फिलहाल नकल देने को तैयार नहीं है, ऐसे में सरकारी गजट दिखाने का सवाल ही नहीं उठता, लेकिन तालाब से जुड़े इतिहास का फोटो सहित उल्लेख इतिहास की एक पुस्तक में मिल गया है।
दिलकश बदायूंनी द्वारा लिखित “इतिहास के आईने में बदायूं” नाम से एक पुस्तक है, जिसमें दातागंज तिराहे के पास कब्जाये जा रहे चंदोखर तालाब का फोटो सहित उल्लेख किया गया है, इस पुस्तक में लिखा है कि इस सरोवर का निर्माण राजा महीपाल ने रानी चन्द्रावती के लिए कराया था, जिसका नाम चन्द्रा सरोवर था, जो अब चंदोखर कहलाता है, इस प्रमाण के बाद भी प्रशासन संबंधित तालाब को तालाब नहीं मानेगा, क्योंकि समूचा प्रशासन भू-माफियाओं से मिला हुआ है, तभी तालाब का श्रेणी परिवर्तन हो गया और तभी तालाब से संबंधित रिकॉर्ड गायब करा दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस प्राचीन तालाब को बचाने का जनता द्वारा अभियान चलाया गया, तो तमाम लोगों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज करा दिए गये एवं पुलिस द्वारा लोगों के दिलों में दहशत कायम करा दी गई। आश्चर्य और दुस्साहस की बात तो यह है कि भू-माफियाओं के साथ खड़े प्रशासन ने 23 मई को बदायूं आ रहे मुख्यमंत्री की जनसभा के लिए इसी क्षेत्र में स्थान चयनित किया है। जनता को अभी भी यह विश्वास है कि मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद भू-माफियाओं और उनके साथ खड़े प्रशासनिक अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई अवश्य होगी।
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