शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र हत्याकांड में चौंकाने वाली बात प्रकाश में आई है। घटना के दिन जगेन्द्र को जिस मुकदमे में पुलिस गिरफ्तार करने गई थी, उस मुकदमे की तहरीर बाद में बदली गई थी। पूर्व में लिखी गई तहरीर में जगेन्द्र पर आरोप नहीं था, लेकिन बाद में जगेन्द्र को आरोपी बना दिया गया। पूर्व में दी गई तहरीर भी पुलिस को रिसीव कराई गई थी, फिर भी पुलिस ने दूसरी तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया और यह सब जानते हुए भी पुलिस जगेन्द्र के पीछे पड़ी थी।
शाहजहांपुर की कांशीराम नगर कालौनी निवासी अमित प्रताप सिंह भदौरिया नाम के युवक ने जगेन्द्र के विरुद्ध 22 अप्रैल को जानलेवा हमला करने का मुकदमा कोतवाली चौक में दर्ज कराया था, इस मुकदमे को लेकर ही पुलिस जगेन्द्र के पीछे पड़ी थी और 1 जून को जगेन्द्र के जलने की वारदात हो गई, जिसे पुलिस आत्म हत्या करार दे रही है, जबकि जगेन्द्र ने मृत्यु से पूर्व कहा था कि उसे पुलिस ने जलाया है। जगेन्द्र की मृत्यु के बाद उनके बेटे राहुल ने राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और कोतवाल श्रीप्रकाश राय सहित छः लोगों को नामजद करते हुए कई अज्ञात लोगों के विरुद्ध जगेन्द्र को जिंदा जला देने का मुकदमा लिखाया था।
उक्त प्रकरण में अब चौंकाने वाला सच सामने आया है। बताया जाता है कि 10 अप्रैल को अमित प्रताप सिंह भदौरिया ने ही चौक कोतवाली क्षेत्र की पुलिस चौकी अजीजगंज के चौकी प्रभारी शाहिद अली को हस्तलिखित तहरीर रिसीव कराई थी, जिसमें अन्य कई लोगों पर जानलेवा हमला करने और अपहरण का प्रयास करने का आरोप लगाया था, साथ ही इस तहरीर में जगेन्द्र को बचाने वाला दर्शाया गया था। इस तहरीर में स्पष्ट लिखा है कि हमलावर उसे पकड़ कर ले जा रहे थे, लेकिन जगेन्द्र और जितेन्द्र द्वारा चेतावनी देने पर छोड़ गये, लेकिन इस तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। कोतवाली चौक में 22 अप्रैल को मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमें जगेन्द्र पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। अब सवाल उठता है कि पुलिस ने पहले से ही रिसीव तहरीर पर मुकदमा क्यूं नहीं लिखा? 10 अप्रैल की घटना का मुकदमा 22 अप्रैल को दर्ज क्यूं किया? नई तहरीर पर मुकदमा क्यूं लिखा? तहरीर किसने बदलवाई? पुलिस किसके दबाव में थी? अमित प्रताप सिंह भदौरिया ने किसके कहने पर तहरीर बदली? इन सब सवालों की गुत्थी सुलझते ही पूरी घटना का सच सामने आ जायेगा, पर सवाल यह भी है कि जिस पुलिस ने जानते/समझते हुए यह सब किया है, उस पुलिस को तो सच पहले से पता ही है, तो पुलिस सच सामने क्यूं आने देगी?
उक्त प्रकरण में प्रो. रामगोपाल यादव, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जांच पूर्ण होने के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन इस तहरीर के प्रकाश में आने के बाद वे पुनः जनता को बताना चाहेंगे कि जान कर जगेन्द्र के विरुद्ध फर्जी मुकदमा दर्ज करने वाली पुलिस निष्पक्ष जांच क्यूं करेगी? जिस पुलिस ने पूरे घटनाक्रम में मुख्य भूमिका निभाई है, वो पुलिस स्वयं को अभियुक्त क्यूं बना देगी? इस तहरीर के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पुनः स्पष्ट करना चाहिए कि अब उनके क्या विचार हैं?
उधर कस्बा खुटार में परिजनों का धरना जारी है। परिजनों ने कल की घटना पर थाने में दो लोगों के विरुद्ध नामजद तहरीर दी थी, जिस पर पुलिस ने आज मुकदमा दर्ज कर लिया है। आज डीआईजी बरेली आरकेएस राठोर धरना स्थल पर गये, उन्होंने एसएसपी बबलू कुमार को परिजनों की सुरक्षा को लेकर हिदायत दी। इस प्रकरण को लेकर 25 जून को लखनऊ में विशाल धरना प्रदर्शन करने की तैयारियां भी चल रही हैं।
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