शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र हत्या कांड को लेकर आज भी जगह-जगह प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारी पत्रकारों की मांग रही कि दोषियों को गिरफ्तार किया जाये। आरोपी राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को मंत्रिमंडल से निकाला जाये एवं जगेन्द्र के आश्रितों को आर्थिक सहायता दी जाये, लेकिन लोकतंत्र व कानून को दरकिनार करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने आज भी मुख्य आरोपी राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को मंत्रिमंडल से बाहर नहीं किया, लेकिन आरोपी कोतवाल प्रकाश राय, उपनिरीक्षक क्रांतिवीर सिंह सहित पांच पुलिस कर्मियों को आज निलंबित कर दिया गया है।
लखनऊ में पुलिस प्रवक्ता ए. सतीश गणेश ने बताया कि दिवंगत पत्रकार जगेन्द्र के प्रकरण में विवेचना के दौरान तत्कालीन कोतवाल प्रकाश राय, उपनिरीक्षक क्रांतिवीर सिंह, सिपाही उदयवीर, सुभाष चन्द्र व मंजूर का नाम प्रकाश में आया है, जिससे उन्हें निलंबित कर दिया गया है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि जगेन्द्र हत्याकांड में एक स्वतंत्र गवाह का नाम प्रकाश में आया है, जिसका बयान दर्ज करने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है। घटना स्थल से फोरेंसिक विशेषज्ञों के दल ने साक्ष्य जुटाये हैं, उनका परीक्षण कराया जा रहा है, साथ ही हत्या में नामजद राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के एक मकान में ताला बंद पाया गया। इसके अलावा मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किये गये जगेन्द्र के बयान को खोलने के लिए विवेचक जेपी तिवारी ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दे दिया है।
सवाल उठता है कि जब पुलिस राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को खोज रही है, तो मुख्यमंत्री उन्हें मंत्रिमंडल में क्यूं बनाये हुए हैं? विवेचना के बाद अगर, राममूर्ति वर्मा निर्दोष साबित हों, तो पुनः मन्त्रिमंडल में लेने में क्या समस्या आयेगी? जाहिर है कि सरकार की मंशा राममूर्ति वर्मा को बचाने की है, इसलिए अब हाईकोर्ट में दाखिल हो चुकी याचिका को लेकर ही आशा है कि हाईकोर्ट ही सही निर्णय लेगा। याचिका पर लखनऊ बेंच में सोमवार को सुनवाई होगी। जनहित याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिंस लेनिन ने दायर की है।
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