बदायूं स्थित इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रांगण में भव्य समारोह आयोजित कर 24 जुलाई को ई-रिक्शा बांटे गये थे। ई-रिक्शों के पात्र चयनित करने और वितरण में बड़ी धांधली होने के आरोप लगते रहे हैं। एआरटीओ में पात्रों से जमकर वसूली करने के आरोप लगे। बताया गया कि ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए प्रति व्यक्ति तीन सौ रूपये तक वसूले गये थे। पांच सौ रूपये प्रति व्यक्ति तक रजिस्ट्रेशन करने के भी वसूले गये। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ पात्रों से दलालों ने बीस हजार रूपये तक लिए। कुल 299 ई-रिक्शे बांटे गये, जिनमें मुस्लिम वर्ग के पात्रों की संख्या 90% से भी ऊपर बताई जा रही थी, लेकिन विभागीय व प्रशासनिक अफसर चयनित पात्रों की सूची सार्वजनिक नहीं कर रहे थे।
24 जुलाई को बांटे गये रिक्शों की सूची गौतम संदेश को मिल गई है, जिसका अवलोकन करने पर आरोप सही पाये गये। 299 पात्रों में हिंदू समुदाय के मात्र 52 लोग ही हैं। हिंदू भी ऐसे लिए गये हैं, जो किसी न किसी मुस्लिम नेता के अधीन हैं और उसके इशारे पर ही कार्य करते हैं। सूत्रों का कहना है कि पात्र चयनित करने में दलाल पूरी हावी रहे हैं। प्रति व्यक्ति रूपये लिए गये। सूत्रों का कहना है कि गरीब तबके के पात्र रूपये दे नहीं सकते थे, साथ ही हिंदू समुदाय के लोगों से रूपये वसूले जाते, तो भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाता, इसलिए ऐसे लोगों को ही जानकर रिक्शे दिए गये कि भ्रष्टाचार का खुलासा न हो सके।
सूत्रों का कहना है कि जितना बड़ा घपला रिक्शे बाँटने में हुआ है, उससे भी बड़ा घपला रिक्शे खरीदने में हुआ है, लेकिन विभागीय अफसर स्टीमेट से संबंधित कागजात दिखाने को तैयार नहीं हैं। यहाँ यह भी बता दें कि 24 जुलाई को रिक्शे बाँटने से पहले भाषण देते समय नगर विकास मंत्री आजम खान ने सिर्फ अपनी जाति और अपने धर्म की बात करने वालों की निंदा की थी, लेकिन मंच से उतर कर उन्होंने भी सिर्फ अपने समुदाय के लोगों को ही रिक्शे बांटे, जिससे आजम खान की भी बड़ी फजीहत हो रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की उदारता ही है कि पत्रकार उनसे खुलेआम पूछ लेते हैं कि उत्तर प्रदेश में कितने यादव थानाध्यक्ष हैं? डीएम और एसएसपी की जातियों का आंकड़ा पूछ लेते हैं, लेकिन नगर विकास मंत्री आजम खान सिर्फ अपने धर्म के लोगों को रिक्शे बाँट रहे हैं और उनसे कोई यह सवाल कर भी नहीं सकता, क्योंकि सवाल करने वाले को वे तत्काल कट्टरपंथी और आरएसएस का एजेंट घोषित कर देंगे।
सूत्रों का कहना है कि सांसद धर्मेन्द्र यादव विधान सभा क्षेत्रों में विधायकों के अधिकारों का हनन नहीं करना चाहते। विधायक अपने स्तर से जो करते हैं, उसमें सांसद रोड़ा नहीं बनते। सूत्रों का कहना है कि सदर विधायक व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के दिशा-निर्देशन में ई-रिक्शा के पात्रों का चयन किया गया है। ई-रिक्शा बाँटने की योजना आजम खान के विभाग द्वारा संचालित की जा रही है और आबिद रजा आजम खान के बेहद करीबी कहे जाते हैं, जिससे ई-रिक्शा वितरण में हुए पक्षपात को कोई चाह कर भी नहीं रोक पाया।
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ई-रिक्शा पाने वालों की सूची निम्नलिखित है