बदायूं से अपमानित होने के बाद स्थानांतरित कर दिए गये जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक रामरक्षपाल सिंह यादव के बाद दूसरे सबसे अधिक विवादित व्यक्ति डीपीआरओ राजेश यादव ही हैं। राजेश यादव नियम विरुद्ध डीपीआरओ की कुर्सी हथियाये हुए हैं, साथ ही खुल कर अनैतिक कार्यों को लगातार अंजाम दे रहे हैं। डीपीआरओ की कुर्सी हथियाने वाले राजेश यादव की दबंगई का आलम यह है कि वे अपनी निजी गाड़ी पर नीली बत्ती लगा कर घूमते हैं, जबकि डीपीआरओ को नीली बत्ती लगाने का अधिकार ही नहीं है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व खंड विकास अधिकारी राजेश यादव प्रभारी जिला पंचायत राज अधिकारी थे, लेकिन कौशांबी के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर प्रभारियों को हटाने की मांग की, तो हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए शासन ने बदायूं में तैनात राजेश यादव को भी हटा दिया और अलीगढ़ के जिला पंचायत राज अधिकारी दिनेश सिंह को बदायूं का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया। कुछ महीने बीतने के बाद जिलाधिकारी शंभूनाथ यादव ने खंड विकास अधिकारी राजेश यादव को ही पुनः प्रभार दे दिया, जबकि राजेश यादव उच्च अधिकारी की श्रेणी में नहीं आते।
राजेश यादव कार्यालय में अनैतिक कार्यों को अंजाम देते ही रहते हैं, साथ ही खुलेआम नीली बत्ती लगा कर गाड़ी से घूमते हैं, उन पर क्षेत्र पंचायत चुनाव में सपा प्रत्याशियों की मदद करने का आरोप लगा और अब विधान परिषद चुनाव में भी आरोप लग रहा है, लेकिन इन आरोपों पर उनके विरुद्ध कार्रवाई होने की जगह उनके नंबर सपा नेताओं की नजरों में और बढ़ जाते हैं, वे सपा नेताओं से निजी संबंध होने का गुणगान करते रहते हैं, साथ ही फेसबुक पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ प्रोफाइल फोटो लगा कर रखते हैं, जिससे उनके विरुद्ध कोई कुछ बोल ही नहीं पाता। सूत्रों का यह भी कहना है कि राजेश यादव इलाहाबाद जिले में अपनी पत्नी को सपा से विधान सभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
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