बलात्कार के आरोपी कथित संत चिन्मयानंद की धूर्तता को लेकर अधिकाँश लोगों को कोई शक नहीं है, लेकिन किसी को यह उम्मीद भी नहीं थी कि वह शाहजहांपुर की यौन शोषण की शिकार बेटी के विरुद्ध चला जायेगा और कथित धार्मिक गुरु आसाराम की खुल कर मदद करेगा। जी हाँ, धूर्तता की सभी सीमाएं लांघते हुए कथित संत चिन्मयानंद ने यौन शोषण की शिकार बेटी की फर्जी जन्मतिथि की टीसी जारी करा दी है।
उल्लेखनीय है कि कथित धार्मिक गुरु आसाराम के कुकृत्यों की शिकार बेटी शाहजहांपुर की निवासी है, जो आसाराम के छिंदबाड़ा स्थित गुरुकुल में कक्षा बारह की छात्रा थी। इससे पहले वह हरियाणा के सोनीपत में स्थित प्रताप सिंह मैमोरियल में पढ़ी थी और उससे पहले शाहजहांपुर के ही सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ी थी, यहाँ सभी जगह उसकी जन्मतिथि 4 जुलाई 1997 अंकित है। सरस्वती शिशु मंदिर में उसका प्रथम एडमिशन हुआ था और टेस्ट के आधार पर उसे दूसरी कक्षा में प्रवेश दिया गया था, लेकिन वह कभी-कभी घर में रोकर अपने बड़े भाई के साथ चिन्मयानंद के मुमुक्षु आश्रम स्थित स्कूल एसएसएमवी में आ जाती थी। भाई पढ़ता रहता था और वह खेलती रहती थी। पिता ने बताया कि फीस के लालच में स्कूल के प्रिंसपल ने उसका नाम रजिस्टर में स्वतः दर्ज कर लिया, उन्हें इसकी जानकारी तब हुई, जब उनसे दो बच्चों की फीस मांगी गई। उसी समय वर्ष 2001 में उन्होंने स्कूल में जाकर विरोध दर्ज कराया कि जब बेटी का नाम नहीं लिखाया, तो वह फीस क्यूं दें, साथ ही उसका नाम भी गलत लिखा गया था, तो प्रिंसपल ने यह कह मामला टाल दिया था कि आप अपनी बेटी को कहीं भी पढ़ाने के लिए स्वतंत्र है, तो उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन सरस्वती शिशु मंदिर में करा दिया और एसएसएमवी में जाना तत्काल बंद करा दिया, लेकिन स्वतः किये उसी एडमिशन के आधार पर चिन्मयानंद ने गलत जन्मतिथि की टीसी जारी करा दी है, यह सब उसने आसाराम को लाभ पहुंचाने की नीयत से ही कराया है, क्योंकि इस फर्जी एडमिशन के आधार पर जारी की गई टीसी में बेटी की जन्मतिथि 6 अगस्त 1995 अंकित है।
इस में किसी तरह के शक की गुंजाइश नहीं है कि धूर्त चिन्मयानंद कथित धार्मिक गुरु आसाराम से मिला हुआ है, पर आश्चर्य की बात यह है कि यह कुकृत्य करते हुए उसे जरा भी शर्म नहीं आई कि वह बेटी उसी शाहजहांपुर की रहने वाली है, जिस शाहजहांपुर के नाम पर वह अपना धंधा चमकाता रहता है। खैर, चिन्मयानंद और आसाराम जैसे धूर्तों को सज़ा अदालत ही देगी या आध्यात्मिक क्षेत्र के राक्षस होने के कारण, इनका असली न्याय ईश्वर करेगा, लेकिन बात फिलहाल भाजपा की करें, तो यह आश्चर्य की ही बात है कि इतना सब होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने चिन्मयानंद को अभी तक पार्टी से बर्खास्त नहीं किया है। यह हाल तब है, जब नरेंद्र मोदी के नाम पर नैतिकता और विकास के एजेंडे के सहारे भाजपा इस बार चुनावी समर में उतरने जा रही है। भाजपा की कथनी और करनी में यही फर्क रहा, तो कम से कम उत्तर प्रदेश में तो उसे नरेंद्र मोदी के ग्लैमर का भी कोई लाभ नहीं मिलने वाला। भाजपा के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए हाईकमान को चिन्मयानंद जैसे धूर्तों से किनारा करना की पड़ेगा।
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