बदायूं जिले के हालात हर क्षेत्र में भयावह ही नजर आ रहे हैं। नियुक्तियों की बात करें, तो उनमें भी मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। पीड़ित अभ्यर्थी उच्च न्यायालय- इलाहबाद की शरण में चले गये हैं, जहां उनकी याचिका स्वीकार कर ली गई है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
भर्ती घोटाला स्वास्थ्य विभाग का है। 4 मार्च को एसटीएस, टीवीएचसी और एलटी के पदों के लिए आवेदन मांगे गये। 24 मार्च को छंटनी के बाद विभाग द्वारा स्वीकृत व अस्वीकृत आवेदनों की सूची चस्पा कर दी गई। अब आरोप है कि अस्वीकृत सूची में से 29 अभ्यर्थियों को राजनैतिक व प्रशासनिक दबाव में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने न सिर्फ बुला लिया, बल्कि उनके 7 मई को साक्षात्कार लेकर नियुक्त कर लिया, जिन्हें बेहद गोपनीय तरीके से नियुक्ति पत्र देने की तैयारी चल रही है।
आरोप है कि योग्य अभ्यर्थियों को दरकिनार कर ऊंची सिफारिश वालों और रिश्वत देने वालों की नियुक्ति की जा रही है। पीड़ित और आक्रोशित अभ्यर्थियों द्वारा जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी और एक बड़े नेता पर भी मनमानी करने का खुला आरोप लगाया जा रहा है। यह भी आरोप है कि जिन लोगों की नियुक्ति होनी है, उनमें समाजवादी पार्टी के नेताओं, विधायकों और प्रतिनिधियों के परिजन हैं एवं नियुक्त होने वालों में कई स्वयं ही सपा के बड़े पदाधिकारी हैं। पीड़ित अभ्यर्थियों ने विभाग की गोपनीय सूची सार्वजनिक कर दी है।
शासन-प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए पीड़ित अभ्यर्थी उच्च न्यायालय की शरण में चले गये हैं। अभ्यर्थियों की याचिका न्यायालय ने स्वीकार कर ली है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। याचिका को लेकर प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
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