बदायूं जिले में विकास की आड़ में सरकारी धन खुलेआम लूटा जा रहा है, लेकिन लुटेरों की ऊंची राजनैतिक पहुंच होने के कारण अफसर मूकदर्शक बने हुए हैं। हाल-फिलहाल जमीन के अंदर बिजली की लाइन डालने वाली कंपनी चर्चा का विषय बनी हुई है। कंपनी पर आरोप है कि तार डालने के लिए गड्डा मानक के अनुरूप नहीं खोद रही है, साथ ही खुदाई के बाद सड़क समतल नहीं कर रही है। नगर पालिका परिषद ने एनओसी भी नहीं दी है, इसके बावजूद दबंगई के बल पर सड़कें खोदी जा रही हैं, जिससे जनता को परेशानी हो रही है।
विभागीय अफसर सटीक जानकारी देने से बच रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मैनपुरी जिले की आरसीएल नाम की कंपनी को बदायूं शहर में जमीन के अंदर 135 कि.मी. तार डालने का 65 करोड़ रूपये में ठेका दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि नगर पालिका परिषद से सड़कें खोदने की अनुमति नहीं ली गई है। दबंगई के बल पर कंपनी सड़कें खोद कर तार डाल रही है। कंपनी पर यह भी आरोप है कि गहराई मानक के अनुरूप नहीं है, साथ ही सड़क खोदने के बाद गड्डे में तार डाल कर कंपनी के मजदूर आगे बढ़ जाते हैं, गड्डे में पुनः मिटटी नहीं डालते, जिससे यातायात बाधित हो रहा है। कम चौड़ी गलियों की हालत बेहद खराब हो गई है। कई मोहल्लों में तो वर्षों बाद हाल ही में सड़कें बनी हैं, जिन्हें कंपनी के मजदूरों ने खोद कर बर्बाद कर दिया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि दक्षिण-पश्चिम दिशा में कंपनी के मजदूर सड़क खोदने गये, तो उधर की जनता ने मजदूर भगा दिए, उसके बाद कंपनी ने पूरब दिशा में खुदाई शुरू कर दी, इस क्षेत्र में कोई सामने आकर विरोध नहीं कर पा रहा, जिससे कंपनी जमकर मनमानी करती नजर आ रही है।
बारिश के कारण कई गलियाँ तालाब बन गई हैं। सड़क पर फैली गीली मिट्टी के बीच से निकलना मुश्किल हो रहा है। कंपनी की दबंगई के चलते शहर के लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, लेकिन कंपनी के संचालकों की ऊंची राजनैतिक पहुंच होने के कारण जानकारी होने के बावजूद अफसर मौन धारण किये हुए हैं। बताते हैं कि कंपनी का असली मालिक एक बड़े नेता का भांजा है, जो दंबगई के साथ सरकारी धन को हजम करने में जुटा है।
उक्त प्रकरण में बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता मधुप श्रीवास्तव से बात की, तो उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने पर जांच कराई गई थी, पर गहराई मानक के अनुरूप पाई गई, लेकिन वे पुनः जांच करायेंगे, साथ ही कहा कि कनेक्शन के दौरान सड़क पुनः खोदनी पड़ेगी, इसलिए अभी पूरी तरह से सड़क समतल नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिम दिशा में लाइन इसलिए नहीं बिछाई जा रही है कि उधर बड़े स्तर पर विरोध किया जा रहा है, लेकिन पूरब दिशा में काम पूरा होने के बाद उधर भी लाइन जमीन के अंदर डाली जायेगी। श्रीवास्तव ने बताया कि नगर पालिका परिषद ने अनुमति नहीं दी है, लेकिन शासन से शीघ्र ही अनुमति मिल जायेगी। बोले- सड़कें ठीक करने के लिए शासन से धन भी मिल जायेगा। श्रीवास्तव ने कंपनी को बचाने वाले ही जवाब दिए, फिर भी यहाँ सवाल यह उठता है कि शासन से अनुमति आने से पहले काम शुरू क्यूं किया गया?
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