अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की दशा में सांसद धर्मेन्द्र यादव का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा था, लेकिन पार्टी के हित में धर्मेन्द्र यादव ने दायित्व लेने से न सिर्फ मना कर दिया, बल्कि आम कार्यकर्ता की तरह पार्टी के हित में कार्य करते रहने की इच्छा जताई, तो चुनाव की दृष्टि से और जातिवादी पार्टी होने का ठप्पा हटाने के उद्देश्य से कुर्मी समाज के लोकप्रिय नेता और कट्टर समाजवादी नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया।
अखिलेश यादव ने नरेश उत्तम पटेल को अध्यक्ष बना कर समाजवादी पार्टी को एक जाति के दायरे से बाहर निकालने का प्रयास किया है, वहीं अपने धुर-विरोधी बेनी प्रसाद वर्मा को ध्यान में रखते हुए कुर्मी समाज के लोकप्रिय नेता को प्रदेश अध्यक्ष चुना है, इसके अलावा उनका चुनाव में एक और बड़ी जाति को लुभाने का भी प्रयास है, इसमें वे कितने सफल होंगे, यह तो चुनाव बाद ही पता चल सकेगा।
उधर अखिलेश यादव व्यवहारिक दृष्टि से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पूरी तरह समाजवादी पार्टी पर काबिज हो गये हैं। समाजवादी पार्टी की ऑफिसियल वेबसाईट और फेसबुक पेज उनके कब्जे में 30 दिसंबर से ही हैं। प्रदेश कार्यालय हाल-फिलहाल सीज है, लेकिन एक तरह से उस पर उनका ही कब्जा है। कानूनी दृष्टि से मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग में दावा ठोंका, तो अखिलेश यादव को मान्यता मिलने में कुछ समय लग सकता है।
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