मुलायम ने की बड़ी गलती, अखिलेश बनेंगे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

अखिलेश यादव और उनके साथ हैं सांसद धर्मेन्द्र यादव।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल कर नियमानुसार स्वयं को कमजोर कर लिया है। नोटिस देने के कुछ ही घंटों के अंदर इस तरह पार्टी से किसी को भी नहीं निकाला जा सकता। मुलायम की इस ना-समझी का लाभ अखिलेश को मिल सकता है। मुलायम की यह भूल अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में सहायक हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि अखिलेश द्वारा प्रत्याशी घोषित करने पर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें शुक्रवार की दोपहर में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नियमानुसार जवाब देने का समय एक सप्ताह होता है, अपरिहार्य परिस्थितियों की बात करें, तो भी जवाब देने के लिए कम से कम तीन दिन का समय दिया जाता है, लेकिन मुलायम ने अखिलेश को कुछ ही देर बाद पार्टी से निष्कासित कर दिया, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता।

आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव को भी अखिलेश के साथ कारण बताओ नोटिस दिया गया था और कुछ ही देर बाद उन्हें भी मुलायम ने पार्टी से बाहर कर दिया। प्रो. रामगोपाल को भी नियमानुसार इस तरह नहीं निकाला जा सकता।

अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी किया गया नोटिस।

उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि सपा महासचिव की हैसियत से प्रो. रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी को आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर अनुमोदित करने के लिए ही बुलाया है, जिसकी भनक लगने पर घबराहट और जल्दबाजी में मुलायम ने नियम से हट कर दोनों के विरुद्ध कार्रवाई कर दी।

प्रो. रामगोपाल यादव को मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी किया गया नोटिस।

मुलायम और अखिलेश के बीच समझौता नहीं हुआ, तो आपसी लड़ाई कानूनी रूप ले लेगी और फिर गेंद चुनाव आयोग के पाले में चली जायेगी। आयोग के समक्ष दी जाने वाली दलीलों में मुलायम द्वारा अखिलेश और रामगोपाल के विरुद्ध की गई कार्रवाई अहम भूमिका निभा सकती है। सम्मेलन में अनुमोदन के बाद अखिलेश ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर दावा ठोंका, तो उनका पक्ष मजबूत साबित हो सकता है।

प्रो. रामगोपाल द्वारा जारी किया पत्र।

सूत्रों का यह भी कहना है कि 1 जनवरी को आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष नामित किया जायेगा, वहीं सांसद धर्मेन्द्र यादव को भी संगठन में बड़ा दायित्व दिया जा सकता है। प्रो. रामगोपाल यादव के संरक्षण में रणनीति बन चुकी है, जिसे अब सिर्फ धरातल पर लाना बाकी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि लखनऊ में विवाद चरम पर था, तब प्रो. रामगोपाल यादव मात देने को आखिरी चाल के लिए दिल्ली में गोटियाँ बिछा रहे थे।

संबंधित खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें लिंक

सपा में चल रही बर्चस्व की जंग के लिए अहम साबित होगा गुरुवार का दिन

चुनावी संग्राम में अपने योद्धाओं के साथ ही उतरेंगे अखिलेश, युवा खुश

शिवपाल ने जारी की प्रत्याशियों की एक और सूची, सपा मुखिया के प्रत्याशी बदले

Leave a Reply