बदायूं जिले के सांसद धर्मेन्द्र यादव के लिए यूं तो समस्त नगर एक समान ही थे, यहाँ लड़ रहे सभी सपा प्रत्याशी उनके चहेते थे, लेकिन बात उनकी प्रतिष्ठा की करें, तो उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा नगर पालिका परिषद उझानी में दांव पर लगी हुई थी। उझानी में टिकट वितरण का प्रकरण नेता जी तक पहुंच गया था, ऐसे में सपा यहाँ पिछड़ जाती, तो वे नेता जी को जवाब नहीं दे पाते।
बदायूं जिले की नगर निकायों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का चयन सांसद धर्मेन्द्र यादव को ही करना था और उन्होंने किया भी, पर दो टिकट उनके भी स्तर से ऊपर चले गये थे। उझानी का एक चापलूस किस्म का व्यक्ति नेता जी के दरबार में जाकर पेश हो गया, तो नेता जी ने उसे पालिकाध्यक्ष पद का टिकट दिलाने का वादा कर दिया, इस पर दूसरा पक्ष पार्टी छोड़ने तक की योजना बनाने लगा। विश्वस्त लोगों के पार्टी छोड़ने की भनक सांसद धर्मेन्द्र यादव को लगी, तो वे सक्रिय हो गये और नेता जी से आग्रह कर आनन-फानन में टिकट बदलवा लाये।
सांसद धर्मेन्द्र यादव की पहल पर पूनम अग्रवाल को टिकट मिला, वे विजयी घोषित हो गई हैं। अगर, पूनम अग्रवाल पिछड़ जातीं, तो उनकी हार का प्रकरण नेता जी के दरबार में पुनः पहुंचता। नेता जी सांसद धर्मेन्द्र यादव की समझ पर सवाल उठाते, तो धर्मेन्द्र यादव को मौन धारण करना पड़ता, लेकिन अब वे अपने निर्णय पर गर्व कर सकते हैं और नेता जी को स्वयं बता सकते हैं कि उझानी में उनके आशीर्वाद से पूनम यादव विजयी हो गई हैं। अब धर्मेन्द्र यादव की समझ पर नेता जी भी गर्व कर सकते हैं।
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