डॉ. यासीन अली उस्मानी को दर्जा मंत्री बनाये जाने को लेकर जनता भ्रमित नजर आ रही है। भ्रम उनके मंत्री पद की श्रेणी को लेकर है। कोई कह रहा है कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है, तो कोई राज्यमंत्री का दर्जा बता रहा है, वहीं कुछ लोग किसी भी तरह का दर्जा न मिलने का दावा करते नजर आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बदायूं निवासी डॉ. यासीन अली उस्मानी को श्रम संविदा सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है, साथ ही कहा जा रहा है कि उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, लेकिन विभाग के प्रमुख सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी द्वारा जारी किये गये पत्र में किसी भी तरह के मंत्री का दर्जा देने का उल्लेख नहीं किया गया है। पत्र में अध्यक्ष मनोनीत करते हुए वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप मानदेय व सुविधायें देने का उल्लेख अवश्य किया गया है।
जिले में प्रथम आगमन को लेकर सोमवार को उनके कार्यक्रम से संबंधित पत्र जिला मुख्यालय पर आया, जिसके क्रम में सिटी मजिस्ट्रेट ने एक पत्र जारी किया, इस पत्र में यासीन अली उस्मानी का दर्जा राज्यमंत्री दर्शाया गया है, वहीं यासीन अली उस्मानी के स्वागत को लेकर विभिन्न समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराये गये हैं, जिनमें उन्हें कैबिनेट मंत्री बताया गया है, इसलिए जनता के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कुछ लोग उन्हें श्रम संविदा सलाहकार बोर्ड का सिर्फ अध्यक्ष मान रहे हैं और कुछ लोग दर्जा राज्यमंत्री बता रहे हैं, तो कुछ लोग कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने का दावा करते नजर आ रहे हैं, जिससे जनता भ्रमित हो गई है। शासन-प्रशासन को स्पष्ट पत्र जारी कर दर्जा मंत्री की स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
उधर डॉ. यासीन अली उस्मानी तय कार्यक्रम के तहत आज बदायूं पहुंचे। आम जनता ने तो विशेष रूचि नहीं दिखाई, लेकिन समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका जगह-जगह स्वागत किया।
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