उत्तर प्रदेश में दो भाजपा नजर आ रही हैं। एक मूल भाजपा और दूसरी दल-बदलुओं की भाजपा। मूल भाजपा के अनगिनत नेता हैं, लेकिन दल-बदलुओं की भाजपा का नेतृत्व कल्याण सिंह करते नजर आ रहे हैं, वे दल-बदलुओं का जमकर कल्याण करते दिख रहे हैं। मूल भाजपा के नेताओं को आगामी विधान सभा चुनाव में टिकट मिले, या नहीं, लेकिन अति महत्वाकांक्षी दल-बदलुओं के टिकट निश्चित माने जा रहे हैं, जिससे मूल भाजपा के नेता क्षुब्ध हैं, वे अपना आक्रोश भले ही व्यक्त न कर पा रहे हों, पर व्यक्तिगत वार्तालाप में उनका दर्द बाहर निकल ही आता है और कह उठते हैं कि जमीन पर मेहनत करने वालों की कद्र भाजपा में भी नहीं है।
हाल-फिलहाल बात बदायूं जिले की करते हैं, तो विधान सभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहने की संभावनाओं के चलते सपा, बसपा और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में बड़ी संख्या में नेता आ रहे हैं। किसी न किसी प्रांतीय व केंद्रीय नेता से चुनाव में भाजपा से टिकट मिलने की सहमति लेने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं, जिससे लंबे समय से जमीन पर कार्य कर रहे स्थानीय नेता न सिर्फ विचलित हो उठे हैं, बल्कि क्षुब्ध भी नजर आ रहे हैं।
पिछले दिनों पूर्व एमएलसी जितेन्द्र यादव को बसपा ने निष्कासित कर दिया, तो उन्होंने तत्काल भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली, साथ ही सदस्यता के साथ उन्हें एमएलसी का टिकट भी दे दिया गया, जो वे हार गये और अब बिल्सी क्षेत्र से पुनः टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं, इसी तरह पिछले दिनों दातागंज विधान सभा क्षेत्र के शैलेश पाठक भी समाजवादी पार्टी छोड़ कर भाजपा में आ गये। उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा होने बाद पार्टी छोड़ी और अब माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें चुनाव लड़ाने का आश्वासन दे दिया है। आज पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर की पत्नी प्रीती सागर और बेटे कुशाग्र सागर ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
योगेन्द्र सागर बिल्सी विधान सभा सुरक्षित क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। बिल्सी क्षेत्र सामान्य हुआ और बिसौली विधान सभा क्षेत्र सुरक्षित हुआ, तो पिछले चुनाव में उन्होंने बसपा से अपनी पत्नी प्रीती सागर को बिसौली सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ाया, जो सपा के आशुतोष मौर्य “राजू” के मुकाबले हार गईं। गत दिनों बसपा ने योगेन्द्र सागर को पार्टी से निष्कासित कर दिया, तो उन्होंने पहले बसपा में ही लौटने के प्रयास किये, लेकिन जब बसपा हाईकमान ने पूरी तरह द्वार बंद कर लिए, तो वे भाजपा में आने के प्रयास करने लगे। सूत्रों का कहना है कि कल्याण सिंह के माध्यम से आज उनकी पत्नी व बेटे ने न सिर्फ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है, बल्कि कल्याण सिंह ने उनके बेटे कुशाग्र को टिकट दिलाने का आश्वासन भी दे दिया है, जबकि भाजपा परिवारवाद के विरुद्ध मानी जाती है।
सवाल यह है कि वर्षों से जो लोग क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं के सम्मान की रक्षा कर रहे हैं, उनके साथ संघर्ष कर रहे हैं। हर दुःख में कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहे हैं, वे लोग क्या करें अब? विचार और सिद्धांत को लेकर स्वयं को अलग बताने वाली पार्टी में मूल कार्यकर्ता टिकट के लिए आवेदन करते हैं, तो उनकी तमाम योग्यतायें परखी जाती हैं, लेकिन धनाढ्य और चाटुकार दल-बदलुओं के लिए सभी विचार और सिद्धांत उठा कर ताक में रख दिए जाते हैं। सवाल यह भी है कि भाजपा का एक मात्र लक्ष्य किसी भी तरह सत्ता पाना ही रह गया है क्या? अगर, नहीं, तो दल-बदलुओं को टिकट का आश्वासन भी क्यों दिया जा रहा है, जबकि भाजपा में नियम है कि तीन वर्ष सक्रिय कार्यकर्ता रहने वाला व्यक्ति ही टिकट के लिए आवेदन कर सकता है। क्या यह मान लिया जाये कि भाजपा भी अन्य दलों की तरह ही है, क्योंकि वैचारिक दृष्टि से भी अन्य दलों के समकक्ष खड़ी नजर आ रही है।
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