उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गुणों और सिद्धातों की अधिकाँश लोग खुल कर प्रशंसा करते हैं, उनके भाषणों की प्रशंसा करते हैं, वे किसी भी विपक्षी दल के नेता के संबंध में अभद्र टिप्पणी नहीं करते, जिससे उनकी सराहना की जाती है, उनके द्वारा कराये जा रहे विभिन्न विकास कार्यों और उनके द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं की भी प्रशंसा की जाती है। उनकी सरकार निःशुल्क सिंचाई योजना, डॉ. राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना, जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना, राज्य पोषण मिशन, कामधेनु डेयरी योजना, सोलर पम्प योजनाओं के अलावा समाजवादी पेंशन योजना, लोहिया ग्रामीण आवास योजना, निःशुल्क लैपटॉप वितरण योजना, संशोधित कन्या विद्या धन योजना, 1090 विमेन पावर लाइन, कृषक दुर्घटना बीमा योजना, ‘108’ समाजवादी स्वास्थ्य सेवा, ‘102’ नेशनल एम्बुलेंस सर्विस, स्वास्थ्य/जननी सुरक्षा योजना, निराश्रित महिला पेंशन योजना, किसान/वृद्धावस्था पेंशन योजना, विकलांग पेंशन योजना, कौशल विकास मिशन जैसी योजनायें संचालित कर रही है, जिनकी कोई आलोचना नहीं करता, साथ ही समाजवादी जल संचय योजना के अंतर्गत बुंदेलखंड क्षेत्र में उनके द्वारा कराई जा रही तालाबों की खुदाई को लेकर भी वे सराहना के पात्र बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले दिनों जनपद महोबा के भ्रमण के दौरान चरखारी स्थित जयसागर, कोठीताल, बंसिया ताल, मलखान तालाब, रपट तलैया, गुमान बिहारी तालाब, रतनसागर और गोलाघाट तालाब का लोकार्पण भी किया। उन्होंने वहां की जनता को आश्वस्त किया कि समाजवादी सरकार संकट की घड़ी में बुन्देलखंड के लोगों के साथ खड़ी है, साथ ही कहा कि बुन्देलखंड में पानी की कमी के मद्देनजर जल संचयन को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि यहां की पेयजल की समस्या के निराकरण के साथ-साथ सिंचाई के लिए खेतों तक पानी पहुंचाया जा सके। अखिलेश यादव चरखारी में तालाबों के निर्माण कार्य की तेजी को लेकर बड़े ही गदगद हैं, जिससे उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को खुल कर बधाई भी दी।
अखिलेश सरकार ने लगभग 140 करोड़ रुपए खर्च कर के बेहद कम समय में 100 तालाबों का पुनर्जीवन करने हेतु बुंदेलखंड क्षेत्र में समाजवादी जल संचय योजना लागू की है। 100 तालाबों के पुनर्जीवन के लिए 370 जे.सी.बी., 170 पोकलैण्ड, 316 डम्पर तथा 3200 ट्रैक्टर जुटाये गये हैं, जो युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं, इसको लेकर सरकार और अखिलेश यादव की प्रशंसा भी की जा रही है, लेकिन ऐसे जुझारू मुख्यमंत्री की ऊर्जा और सोच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आकर बदल जाती है, तो लोग सवाल भी उठाने लगते हैं। अच्छे कार्य के लिए लोग नायक बनाते हैं, तो वही लोग कुछ गलत होने पर खलनायक बनाने से भी नहीं चूकते।
अखिलेश सरकार ने प्रदेश भर के तालाबों की भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सरकार का निर्देश बुंदेलखंड के बाहर जाकर निरर्थक सा हो जाता है, क्योंकि प्रदेश के अधिकांश जिलों के तालाब माफियाओं और दबंगों के कब्जे में हैं। हाल-फिलहाल बदायूं जिले का चंदोखर नाम का प्राचीन तालाब चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस प्रकार चरखारी के तालाबों का दो सौ वर्ष पुराना इतिहास है। चरखारी के तालाब चन्देल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे, उसी प्रकार बदायूं शहर के चंदोखर तालाब का भी प्राचीन इतिहास है, यह राजा महीपाल द्वारा बनवाया गया था, जिसका नाम चंद्रसरोवर था, जो अब चंदोखर के नाम से जाना जाता है। सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैला यह प्राचीन तालाब अप्रैल 2016 तक जीवित था, उसके बाद भू-माफियाओं ने इस पर हमला बोल दिया। बुन्देलखंड क्षेत्र के तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार द्वारा जितने संसाधन जुटाये गये हैं, उससे कहीं अधिक संसाधन भू-माफियाओं ने इस तालाब की हत्या करने को जुटाये। मात्र अप्रैल और मई माह में इस तालाब के अस्सी प्रतिशत भाग पर माफियाओं ने कब्जा कर लिया। लोगों ने विरोध किया, तो उनके विरुद्ध मुकदमे तक दर्ज करा दिए गये।
इस बीच खबर आई कि मुख्यमंत्री बरेली रोड का लोकार्पण करने बदायूं आ रहे हैं, तो लोगों के चेहरे खिल गये, वहीं माफिया दहशत में आ गये कि कहीं उनके विरुद्ध कार्रवाई न हो जाये। डरे-सहमे जिला प्रशासन ने भी माफियाओं को निर्देश देकर काम बंद करा दिया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 23 मई को बदायूं आये और स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि रैली का आयोजन तालाब के समतल किये हुए हिस्से पर ही किया गया, जहाँ वे रैली को संबोधित कर चले गये, उनसे पत्रकारों को भी नहीं मिलने दिया गया, जिससे माफियाओं के हौसले और भी बुलंद हो गये। माफिया शेष बचे तालाब में भी लगातार मिटटी डलवा रहे हैं, जिसकी किसी को कोई परवाह नहीं है, इसलिए लोग सवाल कर रहे हैं कि जो अखिलेश यादव बुंदेलखंड को स्वर्ग बना रहे हैं, वे बदायूं के ऐतिहासिक तालाब को क्यों नहीं बचा रहे?
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