बदायूं जिले के कद्दावर नेता व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के सक्रिय होते ही सोत नदी का जिन्न फिर निकल आया है। जिलाधिकारी के न्यायालय में दायर की गई अपील निरस्त कर दी गई है, जिससे पूर्व में सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा भवन के विरूद्ध किया गया आदेश प्रभावी हो गया है।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में सदर क्षेत्र के पूर्व विधायक व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा के सोत नदी के किनारे बने भवन का प्रकरण उछला था, जिसकी जाँच भी हुई। जाँच में आबिद रजा का भवन सोत नदी की सीमा से बाहर पाया गया। पुनः रिपोर्ट मांगी गई तो, जाँच के बाद तहसीलदार ने 23 सितंबर 2016 को रिपोर्ट में पुनः वही लिखा कि अवैध कब्जा नहीं किया गया है। भाजपा सरकार आने पर सोत नदी की फिर जाँच हुई, जिसमें तहसीलदार ने 10 मई 2017 को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि नदी अपने दायरे में है और अतिक्रमण नहीं किया गया है, इसके बाद भाजपा विधायक महेश चंद्र गुप्ता के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने डीएम को निर्देश दिया तो, सीडीओ की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 12 जून 2017 को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि आबिद रजा का भवन सोत नदी के रकवे से बाहर है।
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अंत में सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय से आबिद रजा के भवन के विरुद्ध आदेश पारित किया गया, जिसके विरोध में आबिद रजा ने जिलाधिकारी के न्यायालय में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद जिलाधिकारी ने आबिद रजा की अपील निरस्त कर दी है, जिससे सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा किया गया आदेश प्रभावी हो गया है। हालाँकि 30 दिन का समय दिया गया है, साथ ही अभी सिविल जज जूनियर डिविजन के न्यायालय में भी मुकदमा विचाराधीन बताया जा रहा है। यह भी बता दें कि आबिद रजा मुस्लिम राजनैतिक जागरूकता मिशन चला रहे हैं, जिससे वे पुनः चर्चाओं के केंद्र में बने हुए हैं।
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