दबंग और विवादित अफसर राजेश यादव का दावा सच साबित होता नजर आ रहा है। राजेश यादव को पुनः बदायूं जिले में तैनात कर दिया गया है। संभव है डीपीआरओ का कार्यभार भी पुनः दे दिया जाये, साथ ही जिला पंचायत में एएमए का अतिरिक्त कार्यभार भी दिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि विधान परिषद सदस्य के चुनाव में आरोप लगे, तो चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रभारी डीपीआरओ राजेश यादव को लखनऊ स्थित ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव के कार्यालय से 2 मार्च 2016 को संबंद्ध कर दिया गया था। कार्रवाई के बाद भी राजेश यादव का मनोबल कम नहीं हुआ था, वे यह दावा कर रहे थे कि आचार संहिता खत्म होते ही पुनः बदायूं में तैनाती करा लेंगे और उनका दावा सच साबित हुआ।
उप सचिव उमाकांत मिश्र के हस्ताक्षर से जारी किया गया आदेश देर रात बदायूं पहुंच गया, जिसमें लिखा है कि खंड विकास अधिकारी राजेश यादव को तत्काल प्रभाव से बदायूं तैनात किया जाता है। अब यह भी संभावनायें व्यक्त की जाने लगी हैं कि राजेश यादव को पुनः डीपीआरओ का कार्यभार भी दिया जा सकता है, साथ ही जिला पंचायत में एएमए का अतिरिक्त कार्यभार दिलाने की भी चर्चायें जोड़ पकड़ने लगी है, लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि आयोग के निर्देश के बावजूद विभाग ने राजेश यादव को निलंबित क्यूं नहीं किया, साथ ही आरोपों की विभाग ने जांच क्यूं नहीं की? इस प्रकरण को आयोग ने पुनः संज्ञान में ले लिया, तो राजेश यादव के साथ और भी कई अधिकारी फंस सकते हैं।
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