मनगढ़ंत और फर्जी खबरें छापने के लिए कुख्यात हो चुका दैनिक जागरण का बदायूं कार्यालय रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर नज़र आ रहा है। पहले कोर्ट परिसर के अंदर की फर्जी खबर प्रकाशित कर दी और जब मामले ने तूल पकड़ा, तो आज खंडन भी छाप दिया, पर मामला शांत नहीं हो पा रहा है। फर्जी खबर को लेकर कार्रवाई होना निश्चित है, लेकिन अभी यह साफ़ नहीं है कि कार्रवाई किसके विरुद्ध होगी?
उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण के बदायूं कार्यालय में तैनात ब्यूरो चीफ लोकेश प्रताप सिंह की आम छवि बेहद खराब है। शराब पीकर बवाल करना और किसी के भी विरुद्ध मनगढ़ंत ख़बरें छापने को लेकर लोकेश प्रताप सिंह कुख्यात हो चुके हैं। अपनी मूल प्रकृति के चलते ही लोकेश ने कल “कार्यालय में रंगरेलियां मनाते पकड़ा लिपिक” शीर्षक से एक फर्जी खबर छापी थी, जिसमें लिखा था कि एक लिपिक कार्यालय में ही अपनी प्रेमिका के साथ रंगरेलियां मना रहा था, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया और बाद में हिदायत देकर छोड़ दिया, इस खबर के प्रकाशित होने पर न्याय विभाग में हडकंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि प्रकरण उच्च न्यायालय तक पहुँच गया है, जिससे जिला जज ने भी प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को तलब कर लिया। सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने ऐसी किसी भी तरह की घटना और गिरफ्तारी को लेकर मना कर दिया है। अब सूत्रों का कहना है कि पुलिस के स्पष्टीकरण के देने के बाद एकतरफा दोष दैनिक जागरण का ही प्रतीत हो रहा है। हालांकि बिना किसी के कहे दैनिक जागरण ने आज एक नज़र कॉलम में “कथित रंगरेलियां मामले में नहीं मिले कोई सुबूत” शीर्षक से खंडन भी प्रकाशित किया है, लेकिन इतने भर से मामला शांत होने वाला नहीं है। सूत्रों का कहना है कि संपूर्ण प्रकरण उच्च न्यायालय के संज्ञान में होने के कारण किसी न किसी के विरुद्ध कार्रवाई होना निश्चित है और फिलहाल दैनिक जागरण ही दोषी नज़र आ रहा है, जिससे संबंधित रिपोर्टर का बचना मुश्किल है। पुलिस सूत्रों का भी कहना है कि इस मामले में मुकदमा दर्ज हो सकता है।
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