उत्तर प्रदेश में बदायूं बना खनन माफियाओं की राजधानी

उत्तर प्रदेश में बदायूं बना खनन माफियाओं की राजधानी
उत्तर प्रदेश में बदायूं बना खनन माफियाओं की राजधानी
उत्तर प्रदेश में बदायूं बना खनन माफियाओं की राजधानी

देश भर में सरकारें बदलती रहती हैं। प्रशासनिक अफसर भी बदलते रहते हैं, लेकिन अवैध धंधे और धंधेबाज कभी नहीं बदलते। उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी, तब भी खनन माफिया भयमुक्त थे और आज समाजवादी पार्टी की सरकार में भी भयमुक्त हैं, इससे भी बड़े आश्चर्य की बात यह है कि जो खनन माफिया बसपा सरकार में हावी थे, वही माफिया आज हावी हैं। असलियत में अवैध खनन ऐसा धंधा है, जिसका आम जनता से सीधा संबंध नहीं है, इसलिए शासन-प्रशासन में बैठे लोगों पर कोई दबाव नहीं रहता, जिससे धंधा निरंतर चलता रहता है।

लागात के रूप में बड़ी रकम लगाने की जगह शासन-प्रशासन में बैठे लोगों से सिर्फ सेटिंग करनी पड़ती है, इसलिए खनन में अपार लाभ है, जिससे अवैध खनन ने देश भर में कारोबार का रूप ले लिया है। अब इस क्षेत्र में सफेदपोश भी उतर आये हैं। उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ देश भर में खनन माफिया हावी हैं और शासन-प्रशासन के छाते के नीचे फलफूल रहे हैं।

हरिद्वार में अनशन पर बैठ कर स्वामी निगमानंद प्राणों की आहुति दे चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड में आज भी हालात नहीं सुधरे। पिछले वर्ष फरीदाबाद में रेत ले जा रहे डंपर से पुलिस कांस्टेबल को रौंद कर मौत के घाट उतार दिया था, पर हरियाणा में आज भी कुछ नहीं बदला। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में अवैध खनन रोकने गये विभागीय अफसरों पर माफियाओं ने हमला बोल दिया था, साथ ही मार्च 2012 में आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार की खनन माफियाओं द्वारा हत्या करा दी गई थी, इसके बाद भी मध्य प्रदेश में अवैध खनन कारोबार का रूप ले चुका है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में उपजिलाधिकारी के पद पर तैनात यूनुस खान को खनन माफिया ने ट्रैक्टर से कुचल कर जान से मारने का प्रयास किया, इसके बाद भी धंधा जारी है। महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में भी विभागीय अफसर की जान लेने की कोशिश की गई, पर महाराष्ट्र में भी कुछ नहीं बदला, सब वैसे ही चल रहा है। उत्तर प्रदेश के हालात और भी दयनीय हैं। गत वर्ष ग्रेटर नोएडा में खनन माफियाओं के विरुद्ध अभियान चलाने वाली आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को माफियाओं ने अन्य प्रकरण में फंसा कर निलंबित करा दिया था, जिसके बाद खनन माफिया समूचे उत्तर प्रदेश में हावी हो गये। हालात इतने खराब हो गये हैं कि अभी गुजरी 11 फरवरी को नोयडा में महामाया फ्लाई ओवर के पास रात में चेकिंग के दौरान फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम पर खनन माफिया ने हमला कर दिया। गुजरे 14 दिसंबर को आगरा में एत्मादपुर के एसडीएम जेपी सिंह के निर्देश पर सिपाही यमुना एक्सप्रेस वे के पास हाथरस रोड पर चेकिंग कर रहे थे, इसी बीच खनन माफिया ने सिपाहियों को सड़क पर पटक कर कुचलने का प्रयास किया। गत वर्ष सितंबर माह में जसराना थाने के बड़ा गांव में मिट्टी का अवैध खनन रोकने गए तहसीलदार को माफिया के गुंडों ने जेसीबी से कुचलने का प्रयास किया था। इसी तरह 24 सितंबर को एत्माद्दौला में खनन माफिया सिपाहियों से भिड़ गये थे। 10 अगस्त को आगरा के ही मांगरौल गूजर में एसडीएम की टीम को कुचलने का प्रयास किया गया था। 23 जुलाई को आगरा के ही खेरागढ़ में खनन माफिया के सशस्त्र गुर्गो ने तहसीलदार पर हमला बोल दिया था। 27 मई को आगरा के अछनेरा क्षेत्र के गाँव सींगना में एसडीएम की टीम पर हमला कर दिया गया था। इसी महीने में एसडीएम एत्मादपुर को टेढ़ी बगिया के पास खनन माफिया ने जलाने का प्रयास किया। 25 अप्रैल को आगरा जिले में ही ग्वालियर रोड पर खनन माफिया ने एसडीएम की टीम पर हमला बोला था। गुजरी 3 फरवरी को भी आगरा जिले के खंदौली में थाने के सामने पुलिस जीप को टक्कर मार कर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर माफिया के गुर्गे भाग गए थे। इसी तरह 09 नवंबर 2013 को अवैध खनन माफिया के दो दर्जन से ज्यादा लोगों ने लाठी-डंडों से डीएसपी के नेतृत्व में गई पुलिस टीम पर जानलेवा हमला बोल दिया था। 30 अक्टूबर 2013 को कानपुर के मकसूदाबाद गांव से अवैध खनन कर मिट्टी ले जा रहे चालक ने लेखपाल को कुचल कर मारने की कोशिश की थी, ऐसी ही सैकड़ों घटनायें हैं, इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।

उत्तर प्रदेश का बदायूं जिला खनन माफियाओं की राजधानी बन कर उभर रहा है, जबकि बदायूं लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अनुज धर्मेन्द्र यादव सांसद हैं। धर्मेन्द्र यादव की छवि आम जनता के बीच एक ईमानदार व्यक्ति और विकास पुरुष के साथ जनसमस्याओं के निस्तारण को तत्पर रहने वाले शख्स के रूप में हैं, लेकिन अफसरों ने खनन माफियाओं को खुली छूट दे रखी है, जिससे सांसद धर्मेन्द्र यादव के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक की छवि खराब हो रही है, क्योंकि बसपा शासन में जो शख्स गंगा की छाती चीर कर रेत से नोट बना रहा था, वही शख्स आज भी रात-दिन गंगा को तबाह कर मालामाल हो रहा है। हालांकि कछला में नियमानुसार पट्टे दिए गये हैं, जो कासगंज जिले के राजवीर, कासगंज जिले के कस्बा नगरिया निवासी मोतीलाल और बदायूं जिले में कादरचौक थाना क्षेत्र के कल्लू के नाम हैं, इन्हें 112 एकड़ के विशाल भू-भाग में खनन करने का अधिकार दिया गया है। सूत्रों का कहना है चौबीस घंटे जेसीबी से खुदाई की जा रही है और प्रतिदिन पांच सौ से अधिक गाड़ियाँ भर कर बाहर भेजी जा रही हैं, जबकि इतने बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाने की आर्थिक स्थित पट्टेदारों की नहीं है। सूत्रों का कहना है कि अवैध खनन करने वाले यह माफिया आगरा और मेरठ जिले के हैं, जिनका समूचे उत्तर प्रदेश में कब्जा है, तभी सीज करना तो बड़ी बात है, इनकी गाड़ियाँ पूरे उत्तर प्रदेश में कोई रोक तक नहीं सकता। कछला के लोगों का कहना है कि जेसीबी और डंपर आदि किसी चिंकाड़ा सरनेम वाले नाम शख्स के हैं, जो यहाँ कभी नहीं आता, उसके नाम के सहारे के ही उसके लोग गंगा के सीने को छलनी करते रहते हैं। इस संबंध में क्षेत्रीय खनन अधिकारी लालता प्रसाद ने बताया कि मोती लाल, राजवीर और कल्लू को नियमानुसार पट्टे दिए गये हैं और वे भी नियमानुसार सही कार्य कर रहे हैं। चिंकाड़ा सरनेम सुन कर वह सकपका गये, साथ ही बोले कि चिंकाड़ा तो बहुत ही भले व्यक्ति हैं और वह ऐसे काम नहीं करते, पर जब उनसे यह पूंछा गया कि इतने बड़े पैमाने पर डंपर भरने के लिए लाइसेंस जारी किया गया है या नहीं?, तो उन्होंने कहा कि गाड़ियों की गिनती की जाती है और ज्यादा गाड़ियाँ होने पर राजस्व की अतिरिक्त वसूली की जाती है, तो सवाल किया कि गाड़ियाँ गिनता कौन है?, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि पट्टेदार ही गिनते हैं। खैर, खनन अधिकारी लालता प्रसाद सरकार की नज़र में बेहद अच्छे अफसर हैं, तभी उनके पास गंगा और रामगंगा के गुजरने वाले एक दर्जन से अधिक जिलों में अवैध खनन रोकने की अहम जिम्मेदारी है।

बी.पी.गौतम
बी.पी.गौतम

बदायूं जिले के कछला में चल रहे इस अवैध धंधे की जानकारी जिले के विभागीय और वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों को भी है, लेकिन जान कर सब के सब अंजान बने हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि माफिया एक करोड़ रूपये प्रति माह देता है, जो अफसरों से लेकर नेताओं के बीच बंटते हैं, इसीलिए सबके सब मौन हैं, लेकिन आम जनता का मानना है कि अफसरों और नेताओं द्वारा माफिया के साथ मिल कर खेला जा रहा यह खेल सांसद धर्मेन्द्र यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के संज्ञान में आ गया, तो एक भी दोषी सलाखों के पीछे जाने से बच नहीं पायेगा।

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