शतरंज के खेल की तरह ही राजनीति में भी कभी-कभी प्यादा राजा पर भारी पड़ जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि राजनीति की बिसात पर चाल कोई और चल जाता है और अवसर का लाभ वो ले लेता है, जो राजनीति के खेल में माहिर खिलाड़ी होता है। कल हुई ऐसी ही एक घटना राजनीति के एक्सप्रेस-वे पर हाई स्पीड से दौड़ते हुए जगह-जगह अपना प्रभाव छोड़ती नज़र आ रही है। घटना के बारे में सुन कर कोई मातम मना रहा है, तो कोई जश्न, कुछ लोग स्तब्ध भी हैं।
घटना कल की है। बदायूं में गांधी नगर स्थित सपा कार्यालय पर जिला अध्यक्ष बनवारी सिंह यादव की अध्यक्षता में आवश्यक बैठक चल रही थी, जिसमें मुख्य अतिथि सांसद धर्मेन्द्र यादव बरेली के इस्लामिया इंटर कालेज मैदान में नौ नवंबर को होने वाली “देश बचाओ, देश बनाओ” रैली को सफल बनाने का आह्वान करते हुए सफलता के मन्त्र भी दे रहे थे। बैठक में विधायक ओमकार सिंह यादव, विधायक आशुतोष मौर्य, विधायक आशीष यादव बलवीर सिंह यादव के अलावा पूर्व विधायक, प्रकोष्ठों के अध्यक्ष, पार्टी से संबद्ध जिला पंचायत सदस्यों के साथ समस्त प्रमुख व्यक्ति मौजूद थे। सदर विधायक आबिद रजा बैठक शुरू होने के बाद पहुंचे। बताया जाता है कि विधायक के साथ उनके निजी गनर भी बैठक वाले हॉल की ओर जाने लगे, तो सांसद धर्मेन्द्र यादव के गनर कृपाल सिंह यादव ने आपत्ति की, लेकिन विधायक अड़ गए, पर उनके निजी गनर को नहीं जाने दिया गया, तो विधायक भी बैठक वाले हॉल में नहीं गए और वहीं से वापस अपने आवास पर चले गए। जाने से पहले उन्होंने गनर कृपाल सिंह यादव के साथ अन्य तमाम लोगों पर धर्म के आधार पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया। अपने आवास पर उन्होंने प्रेस वार्ता भी आमंत्रित कर ली, लेकिन तब तक बात सांसद धर्मेन्द्र यादव के कानों तक पहुंच चुकी थी। सांसद धर्मेन्द्र यादव खुद विधायक आबिद रज़ा के आवास पर पहुँच गये और उन्हें मना लिया, जिसके बाद विधायक ने किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया।
सूत्रों का कहना है कि पक्षपात के शिकार विधायक आबिद रज़ा को ऐसे ही किसी अवसर की तलाश लंबे से थी, सो उन्होंने अपने पिछले अरमान भी पूरे कर लिए। सांसद के सामने उन्होंने पुलिस-प्रशासन और नेताओं की तमाम बातें रखीं, जिन्हें सांसद ने गंभीरता से सुना और अपने आवास पर लौट आये, लेकिन कुछ देर बाद ही विधायक आबिद रज़ा के गनर को अंदर जाने से रोकने वाले सांसद के गनर को एसएसपी ने सुरक्षा में लापरवाही बरतने को लेकर निलंबित कर दिया, तो थम चुकी चर्चा ने पुनः जोर पकड़ लिया। हालांकि पूरा प्रकरण अखबारों में छपने से रोक लिया गया, लेकिन एक पक्ष पूरे प्रकरण को खुद ही प्रचारित कर रहा है, जिससे बात आम लोगों तक भी पहुँचती जा रही है, जिसका साइड इफेक्ट होना निश्चित है।
उधर नाम न छपने की शर्त पर सपा के एक नेता ने कहा कि सांसद धर्मेन्द्र यादव बड़े ही सरल और सहज हैं, यह उनकी उदारता ही है कि वह छोटे से छोटे कार्यकर्ता को साथ लेकर चलते हैं। विधायक आबिद रज़ा को भी अगर कोई परेशानी हुई, तो उस परेशानी को दूर करने का काम सांसद का ही है, इसमें कोई ख़ास बात नहीं है, इसलिए तूल देना भी ठीक नहीं है।