उत्तर प्रदेश में सरकार और सरकार का मुखिया बदल गया। नीति और योजनाओं का क्रियान्वयन कराने वाले अधिकारी बदल गये, पर अंदाज़ नहीं बदला। भ्रष्टाचार आज भी बदस्तूर जारी है। नेता, अफसर और विधायक सरकारी धन को मिल बांट कर बसपा शासन की तरह ही खुलेआम हजम कर रहे हैं। आंवला लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी सुनीता शाक्य के पति दातागंज विधानसभा क्षेत्र से बसपा के विधायक सिनोद कुमार शाक्य उर्फ दीपू ने सवा करोड़ रुपए की विधायक निधि से हाईमास्ट लाइट लगाने का प्रस्ताव दिया है और पहली किश्त के रूप में 59.20 लाख रुपए की धनराशि भी जारी हो गई है, ऐसे में सवाल उठता है कि पत्नी जीत गईं और पति की ही राह पर चलीं, तो आंवला लोकसभा क्षेत्र और जनता का क्या होगा?
कैसे होता है गोलमाल?
सरकारी सूत्रों का कहना है कि बाबू, अफसर और नेताओं ने मिल कर बाजार मूल्य के अनुपात में लाइट, यात्री शेड, पेयजल स्टेंड, शवदाह गृह, स्मृति द्वार वगैरह के स्टीमेट पाँच गुना ज्यादा मूल्य के जारी करा लिए हैं। लाइट की ही बात करें, तो पचास हजार रुपए में लाइट लगा दी जाती है, जबकि स्टीमेट 1.20 लाख रुपए प्रति लाइट का है, जिसमें साठ हजार रुपए विधायक ले लेता है और बाकी रुपए बाबू, अफसर और संस्था मिल कर खा जाते हैं, क्योंकि पचास हजार रुपए में भी अच्छी क्वालिटी की लाइट लगाई जा सकती है, पर मौके पर बीस हजार रुपए की लाइट भी नहीं लगाई जाती। सवा करोड़ की निधि में आधी रकम अकेला विधायक और बाकी आधी में से आधी रकम संस्था, अफसर और बाबू हजम कर जाते हैं, मौके पर मुश्किल से एक चौथाई रकम लगाई जाती है, जिसका कोई औचित्य नहीं है।
दागी संस्था को क्यूँ दिया काम?
विधायक सिनोद कुमार शाक्य की निधि से लाइट लगाने का काम दागी संस्था उत्तर प्रदेश सहकारी विधायन एवं शीतगृह संघ बरेली को दिया गया है, इस संस्था के विरुद्ध जनपद बदायूं में ही मुकदमा दर्ज कराया गया था, इसलिए सीडीओ और पीडी के साथ संबंधित पटल बाबू की निष्ठा पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है, इसकी जांच शासन स्तर से हो गई, तो सभी के विरुद्ध कार्रवाई होना निश्चित है।
कैसे होगा विकास?
सिनोद कुमार शाक्य दातागंज विधान सभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गये हैं, पिछले कार्यकाल में भी इन्होंने निधि को इसी तरह ही खर्च किया था और इस कार्यकाल में भी उसी रह पर चल रहे हैं, ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि इनकी पत्नी सुनीता शाक्य सांसद बन गईं और पति की राह पर ही चलीं, तो आंवला क्षेत्र और जनता का भविष्य अभी से अंधकारमय नज़र आ रहा है।