उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय ने प्रदेश में कानून अव्यवस्था और महिलाओं के विरुद्ध बढ़े अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए पिछले छः सप्ताह के अंदर प्रदेश के सभी थानों में दर्ज महिला उत्पीड़न के मुकदमों और उनकी विवेचना की जानकारी देने के लिए सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया है। बदायूं कांड में डीजीपी से विवेचना की प्रगति रिपोर्ट मांगी है, साथ ही आदेश दिया है कि यदि पीड़ित परिवार को सुरक्षा नहीं दी गई है, तो दे दी जाये।
न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल और न्यायमूर्ति रामसूरत राम मौर्या की खंडपीठ के समक्ष प्रदेश के मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि बदायूं में हुआ अपराध गंभीर है और सरकार ने एसएसपी को निलंबित कर दिया है। आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। स्त्री मुक्ति संगठन की सचिव निधि मिश्र ने जनहित याचिका दायर की है, जिस पर अब तीन जुलाई को सुनवाई होगी।
वी द पीपुल संस्था ने एक याचिका लखनऊ खंड पीठ में दायर की है, जिसमें न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा व न्यायमूर्ति राजन राव ने आदेश सुरक्षित कर लिया है। संस्था की बदायूं कांड पर मांग है कि सीबीआई जांच कराई जाये और पीड़ित परिवार को सुरक्षा दी जाये, इस पर अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने पीठ को बताया कि सरकार सीबीआई जांच की तीन जून को सिफारिश कर चुकी है एवं पीड़ितों के परिवार को सुरक्षा भी दे दी गई है।
संबंधित लेख व खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें लिंक
अगवा कर दुष्कर्म के बाद यादवों पर बहनों की हत्या का आरोप
दलीय और जातीय राजनीति का शिकार हुआ बदायूं कांड
लगता ही नहीं कि अखिलेश यादव सरकार चला रहे हैं