पर्यावरण पर ही हमारा समूचा अस्तित्व टिका है: राजीव

पर्यावरण पर ही हमारा समूचा अस्तित्व टिका है: राजीव
गोष्ठी में बोलते चेयरमैन राजीव कुमार गुप्ता।
गोष्ठी में बोलते चेयरमैन राजीव कुमार गुप्ता।

बदायूं जिले में स्थित दातागंज के ब्लॉक संसाधन केन्द्र पर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें नगर पालिका परिषद दातागंज के लोकप्रिय चेयरमैन राजीव गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण संसाधनों में हवा जल, जंगल, नदियां, समंदर, पहाड़ आदि आते हैं, जो सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। पिछले कुछ दर्शकों में देश में इन संसाधनों को जरूरतें ज्यादा बढीं हैं, जिससे इन सबका बढ़ी तेजी से दोहन हुआ है, इन संसाधनों की सबसे ज्यादा बलि विकास के नाम पर चढ़ाई गई है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में हमें विकास का अपना ऐसा मॉडल अपनाना होगा, जो शहरी आत्मनियन्त्रण और ग्रामीण पर्यावरण को समृद्ध करने वाला हो। हमारा पारम्परिक लोक विज्ञान, हमारा ज्ञान-विज्ञान और आज की उन्नत प्रौद्योगिकी मिलकर जो रूप ग्रहण करेंगे, वही सही मायनों में आधुनिक विकास होगा। पर्यावरण का अर्थ करीने से लगाए कुछ पेड़, व्यवस्थित या संरक्षित अभयारण्य, हवा और पानी भर तक ही सीमित नहीं है। बोले- पर्यावरण पर ही हमारा समूचा अस्तित्व टिका है।
चेयरमैन ने कहा कि अगर आज हम लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक नहीं हुए, तो आने वाले समय में सब कुछ नष्ट हो जायेगा। उन्होंने संकल्प लेते हुए कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए हम सबको आगे बढ़ कर आना होगा, अन्यथा इसके गम्भीर पारिणाम भुगतने होगें। हम विकास परियोजनाएं और नीतियों के नाम पर इन संसाधनों के इस्तेमाल का विकल्प तो चुनते हैं, लेकिन हम समझने की कोशिश नहीं करते।

पौधारोपण करते चेयरमैन राजीव कुमार गुप्ता।
पौधारोपण करते चेयरमैन राजीव कुमार गुप्ता।

उन्होने कहा कि पर्यावरण का मामला सीधे-सीधे हमारे समाज से जुड़ा मामला है। पर्यावरण प्रभावित होता है, तो इसके साथ ही लोग भी प्रभावित होते हैं। जंगल अनेक प्रकार के जीव-जन्तुओं के लिए आश्रय स्थल भी होता है, प्राकृतिक जंगल में पेड़ों के साथ-साथ बहुत सारी वनस्पतियां भी होती हैं। जंगल बारिश के पानी को रोकर उसे ठहराव देता है, जंगल ऑक्सीजन को बढ़ाता है, कार्बन आर्क्साइड को कम करता है, जिससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। जहाँ जंगल होता है, वहां बारिश भी अच्छी होती है और आसपास की नदियां सदानीरा रहती हैं। जहाँ जंगल काटे जाते हैं, वहां नदियां सूख जाती हैं, यही कारण है कि पुराने लोग और पर्यावरणविद भी कहते है कि जंगल नदी का बाप होता है।
अधिशासी अधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पर्यावरण संकट जारी है, जल, जंगल और जमीन खतरे में है। आजादी के बाद देश में यह सबसे भीषण सूखे का दौर है। बोले- पर्याचरण को बचाने के लिए हम सबको आगे आना ही होगा। गोष्ठी के बाद चेयरमैन ने पौधारोपण किया, इस मौके पर मो. फहरत हुसैन, राशिद कादरी, मुकेश भारती, पल्लव गुप्ता सहित तमाम लोग लोग मैजूद रहे।

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