बदायूं में धरने पर बैठे कर्मचारी की चार दिन पूर्व हालत खराब हो गई थी, उसने आज दम तोड़ दिया, लेकिन बेदर्द प्रशासन और शासन पर अभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा है। परिजन शव के साथ मालवीय आवास पर बैठे हैं, पर शासन-प्रशासन की ओर से कोई उन्हें सांत्वना तक देने नहीं पहुंचा है।
उल्लेखनीय है कि बदायूं के शेखूपुर में सहकारी चीनी मिल है, जिसके कर्मचारी अपने देयों को लेकर मुख्यालय पर स्थित मालवीय आवास गृह के परिसर में धरने पर बैठे हैं। धरने का आज 77वां दिन है। 18 जून को संविदा कर्मी लक्ष्मण प्रसाद की हालत बिगड़ गई थी, तब उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन मजदूर था, सो उपचार की औपचारिकता ही चलती रही, जिससे आज हालत और बिगड़ गई, तो परिजन बरेली लेकर भागे, लेकिन लक्ष्मण प्रसाद ने बरेली पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
हृदय विदारक घटना है, लेकिन मजदूर वर्ग के साथ घटित हुई है, इसलिए किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। परिजन शव लेकर वापस लौट आये हैं और शव के साथ धरना स्थल पर ही बैठे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई उन्हें सांत्वना तक देने नहीं पहुंचा है। परिजन और कर्मचारी सुबह शव के साथ रोड पर जाम लगा सकते हैं। शासन-प्रशासन ने तब भी सुध नहीं ली, तो आगे के आंदोलन को लेकर यूनियन के पदाधिकारी तात्कालिक निर्णय लेंगे। हाल-फिलहाल मजदूर की मृत्यु पर जिले भर में कोई हलचल तक नहीं है।
बता दें कि चीनी मिल पर किसानों का करोड़ों रुपया बकाया है, साथ ही कर्मचारियों के वेतन-भत्ते आदि नहीं दे पा रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि मिल का पैसा जा कहां रहा है और अगर, वाकई शून्य आमदनी है, तो मिल को बेचा क्यूं नहीं जा रहा?