प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का झंडा विश्व में बुलंद करने को आतुर हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रदेश को टेक्नोलॉजी हब बनाना चाहते हैं, लेकिन जमीनी हालात यह हैं कि महिलाओं का जानवरों की तरह खरीदने-बेचने का धंधा बड़े पैमाने पर आज भी जारी है। खरीद कर लाई गई एक महिला के सामने आज अचानक एक महिला कांस्टेबिल देवी बन कर सामने आ गई, तो वह बच गई, लेकिन दरिंदे भाग गये एवं पेशे के नाम पर कलंक डॉक्टर के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
घटना बदायूं के महिला अस्पताल की है। यहाँ शुक्रवार दोपहर में सात महीने की एक गर्भवती महिला को चार लोग लेकर आये। उन्होंने डॉ. ओमवती से उसका गर्भपात कराने की सेटिंग की। सूत्र बताते हैं कि ओमवती ने गर्भपात करने का मूल्य चार हजार रूपये लगाया था। वह महिला को लेकर ऑपरेशन थियेटर की ओर जा रही थी, तभी अस्पताल में किसी कार्य से आई महिला कांस्टेबिल कविता रानी पर पीड़ित की नजर पड़ गई, तो वह किसी तरह चंगुल से छूट कर दौड़ते हुए महिला कांस्टेबिल के पास आ गई और फिर उसने रोते हुए पूरी दास्ताँ बयाँ कर दी।
महिला कांस्टेबिल ने भी उसकी बात को गंभीरता से लिया और तत्काल वरिष्ठ अफसरों को सूचित किया। आनन-फानन में कोतवाली पुलिस और महिला थाने की पुलिस पहुंच गई, लेकिन तब तक महिला के साथ आये लोग भाग चुके थे। पुलिस पीड़ित महिला को साथ ले गई। फिलहाल वह महिला थाने में है।
पीड़ित ने बताया कि वह कोलकाता की रहने वाली है, उसे कुछ महीने पहले अज्ञात लोग खरीद कर लाये थे और गर्भपात करा कर पुनः बेचना चाहते थे। उसने बताया कि बंधक बना कर महीनों से उसका यौन उत्पीड़न किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि पीड़ित महिला को अस्पताल लाने वाले दरिंदे दातागंज कोतवाली क्षेत्र के गाँव चितरी चंगासी के रहने वाले हैं। अब ध्यान देने की बात यह है कि पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया है, तो पुलिस दरिंदों और डॉक्टर के विरुद्ध क्या कार्रवाई करेगी?