नीतीश कटारा हत्याकांड में जेल में सजा काट रहे विकास यादव को 25 वर्ष ही जेल में रहना होगा। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को विकास यादव की पुनर्विचार याचिका पर निर्णय देते हुए याचिका को निरस्त कर दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और एस.ए. बोबडे की पीठ ने पूर्व में हुए आदेश में दखल देने का कोई कारण नहीं बनता।
उल्लेखनीय है कि विकास यादव को दी गई 25 वर्ष की सजा को 3 अक्टूबर 2016 को उच्चतम न्यायालय ने सही माना था और कड़ी टिप्पणी करते हुए ऑनर किलिंग को मध्ययुगीन अपराध माना था। विकास यादव को एक और याचिका दायर करने का अधिकार था, जिसके अंतर्गत विकास यादव ने न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 25 वर्ष से पहले विकास यादव को किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। विकास यादव के पास यह अंतिम अवसर था, जो निरस्त कर दिया गया है। हालाँकि जानकारों का कहना है कि विकास अभी राष्ट्रपति की शरण में भी जा सकता है।
यह भी बता दें कि नीतीश कटारा की विकास, विशाल और सुखदेव पहलवान ने 16 फरवरी 2002 की रात में बेरहमी से हत्या की थी, साथ ही उसकी लाश को जला कर सुबूत नष्ट कर दिए थे। विकास को अपनी छोटी बहन भारती यादव की मित्रता नीतीश कटारा से पसंद नहीं थी। भारती की अब शादी हो चुकी है, साथ ही डीपी यादव भी भाटी हत्याकांड में सजा पा चुके हैं।
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