उत्तर प्रदेश में मिलते-जुलते कार्य करने वाले विभागों को एक में ही जोड़ दिया जायेगा। पुनर्गठन के बाद कई विभागों का विलय हो जाएगा, जिससे महत्वहीन कई विभागों का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जायेगा। विभागों के विलय होने से काम में तेजी आयेगी, वहीं धन की बर्बादी भी रुकेगी।
उत्तर प्रदेश में कुल 94 विभाग हैं, जिनमें से तमाम विभाग लगभग एक जैसे ही कार्य करते हैं, जिनके लिए कार्यालय, गाड़ी और स्टाफ की अलग व्यवस्था करनी पड़ती है, इस सबके बावजूद कार्य में देरी होती है, इस समस्या को विभागों का पुनर्गठन कर समाप्त कर दिया जायेगा। पुनर्गठन के बाद कुल 37 विभाग रह जायेंगे। उद्योगों से संबंधित पांच विभाग हैं, जिन्हें समाप्त कर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग का गठन किया जा रहा है।
कृषि एवं सहकारिता विभाग में आठ विभागों कृषि, कृषि विपणन एवं मंडी, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, परती भूमि विकास, समन्वय, सहकारिता, चीनी एवं गन्ना विकास का विलय कर दिया जाएगा, इसी तरह शिक्षा के विभागों का भी विलय कर दिया जायेगा, बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, खेलकूद, युवा कल्याण व भाषा विभागों को समाहित कर शिक्षा, युवा कल्याण एवं खेलकूद का गठन किया जा रहा है।
प्राविधिक, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभागों को समाप्त कर व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास के नाम से विभाग बनाया जा रहा है। वित्त विभाग में संस्थागत वित्त, कर एवं निबंधन, बैंकिंग, स्टांप एवं पंजीयन, वित्त, वाह्य सहायतित परियोजना विभागों का विलय कर दिया जाएगा। समाज कल्याण विभाग में महिला कल्याण, अल्पसंख्यक एवं वक्फ, पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण सहित छः विभाग मिला दिए जायेंगे।
चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष विभागों को आपस में मिला दिया जायेगा। चिकित्सा एवं परिवार कल्याण, खाद्य एवं औषधि प्रशासन व बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग चिकित्सा एवं स्वास्थ्य में मिला दिए जायेंगे। सूचना, आबकारी, सतर्कता, सार्वजनिक उद्यम जैसे विभागों का अस्तित्व बना रहेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने नीति आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से समान कार्य करने वाले विभिन्न विभागों का विलय कर नए विभागों का पुनर्गठन करने को कहा था, इस पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने तत्काल कार्य शुरू करा दिया था, इससे कार्य में तेजी आयेगी और धन की बर्बादी भी रुकेगी, जिससे प्रदेश और लोगों का भला होगा।
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