उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में 19वीं सदी तक एक सींग वाले गेंडे पाये जाते थे, जिसके बाद गेंडों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। वर्ष- 1984 में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिणी सोनारीपुर रेंज में गेंडों को पुनर्स्थापित करने का शुभारंभ हुआ। पश्चिम बंगाल और आसाम से लाकर एक नर और दो मादा सलूकापुर परिक्षेत्र में पुनर्स्थापित किये गये, जिनकी संख्या वर्ष- 2015 में बढ़ कर 32 हो गई।
गेंडों पर विशेषज्ञ निरंतर नजर रखे हुए थे। विशेषज्ञों ने निर्णय लिया कि कि इन्ब्रीडिंग से होने वाले दुष्प्रभाव और महामारी से बचाने के लिए गेंडों को पुनर्स्थापित किया जाये। बेलरायां रेंज में भादी ताल का क्षेत्रफल लगभग 13.30 वर्ग किमी है, इस क्षेत्र को गेंडों के पुनर्वास के लिए चिन्हित किया गया। क्षेत्र को पूरी तरह सुरक्षित करने के बाद 9 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच एक नर और तीन मादा को ट्रंकुलाइज कर सफलता पूर्वक विस्थापित कर दिया गया।
उक्त अभियान दुधवा टाइगर रिजर्व और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा कई महीनों से चलाया जा रहा था, अब गेंडों पर विशेषज्ञों के साथ अफसर गहन नजर रखेंगे कि उनके आचरण में कोई परिवर्तन तो नहीं आ रहा है। सब कुछ सही रहा तो, भविष्य में विभाग गेडों के हित में और भी निर्णय लेगा।
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