उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों को लेकर हो रहे अधिकाँश सर्वे व्यक्तिगत हानि-लाभ के आधार पर जारी किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का चुनाव को लेकर अभी तक कोई रुझान नहीं है। राजनैतिक स्थिति स्पष्ट होने के बाद उत्तर प्रदेश का मतदाता विचार करेगा, इसलिए हाल-फिलहाल जारी किये जा सर्वे को मनगढ़ंत मानते हुए स्वतः निरस्त कर दें।
हाल ही में जारी की गई एक सर्वे रिपोर्ट में भाजपा को सबसे आगे और सपा को तीसरे नंबर की पार्टी दर्शाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में राजनैतिक हालात बहुत अधिक नहीं बदले हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति जाति, धर्म और क्षेत्रवाद में जकड़ी हुई है और इन तीनों मोर्चों पर अभी तक समाजवादी पार्टी मजबूत है। उत्तर प्रदेश में दस से पन्द्रह प्रतिशत लोग विकास को सर्वोपरि रखते हैं, ऐसा वर्ग भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लेकर सकारात्मक रुख रखता है, इसलिए चारों मोर्चों पर ही समाजवादी पार्टी आज भी सर्वाधिक मजबूत नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहाँ हर दसवें विधान सभा क्षेत्र में राजनैतिक सोच बदल जाती है। एक-एक, दो-दो जिलों और दो-दो, चार-चार विधान सभा क्षेत्रों में स्थानीय नेता और स्थानीय दल भी हावी रहते हैं, ऐसे दल व नेता अभी तक तटस्थ हैं, उनका किसी बड़े दल से समझौता नहीं हुआ है। हाँ, शुरुआत हो चुकी है। हाल ही में मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में ही विलय हुआ है, ऐसे ही अन्य सभी क्षेत्रीय दलों को लेकर जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी, तब तक सिर्फ कयास ही लगाये जा सकते हैं।
इसके अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुख्यमंत्री व प्रत्याशियों को लेकर स्थिति लगभग स्पष्ट है, लेकिन तीसरे बड़े दल भाजपा ने अभी तक न मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है और न ही विधान सभा सदस्य का चुनाव लड़ने वालों की घोषणा की है। मतदाता वोट देते समय प्रत्याशी, दल और मुख्यमंत्री को ध्यान में रखता है, लेकिन भाजपा की ओर से स्थिति अभी तक शून्य है, उसके बारे में मतदाता अभी कोई जवाब ही नहीं दे सकता। किसी भी स्थिति में वोट सिर्फ कार्यकर्ता दे सकते हैं, आम मतदाता नहीं, इसलिए अभी यह कह देना कि अगले चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी, यह सिर्फ मनगढ़ंत घोषणा है, मतदाताओं की सोच नहीं, तभी इस सर्वे को देखने, सुनने और पढ़ने वाले स्वतः निरस्त कर दें।
भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी और समस्त विधान सभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद आम मतदाता भाजपा के बारे में विचार करना शुरू करेगा। हाल-फिलहाल जाति, धर्म, क्षेत्र, विकास और व्यक्तित्व के साथ समस्त मुददों पर अखिलेश यादव सब पर भारी हैं। कुछ दिनों पहले तक कानून व्यवस्था को लेकर संशय की स्थिति थी, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के डायल- 100 की योजना शुरू होने से कानून व्यवस्था को लेकर भी लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है। बहुत बड़े वर्ग का मानना है कि उत्तर प्रदेश को सही दिशा में ले जाने वाले अखिलेश यादव को एक और मौका मिलना चाहिए। अगले चुनाव में भाजपा, बसपा की लड़ाई समाजवादी पार्टी से नहीं, बल्कि अखिलेश यादव से होगी। समाजवादी पार्टी चुनाव में पिछड़ सकती है, लेकिन उत्तर प्रदेश का मतदाता अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी से अलग रख रहा है। अखिलेश यादव पर उत्तर प्रदेश के एक बहुत बड़े वर्ग को इतना विश्वास हो गया है कि वे चुनाव में कोई घोषणा पत्र जारी न करें, तो भी आम जनता को लगता है कि वे जनहित में बेहतर निर्णय ही लेंगे। अखिलेश यादव के प्रति आम जनता का यह विश्वास अगले चुनाव में बड़ी भूमिका निभायेगा, जिसे सर्वे करने वाले लोग महसूस कर ही नहीं सकते।
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