बदायूं जिले के थाना उघैती में तैनात एसओ प्रदीप यादव और कमल यादव को जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर डीआईजी ने निलंबित कर दिया है, साथ ही विभागीय जाँच के आदेश कर दिए हैं, जिससे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। उसहैत थाने में तैनात एसओ मनीष यादव की लापरवाही और भ्रष्टाचार से संबंधित प्रकरण भी डीआईजी के संज्ञान में पहुंच गया है, जिससे मनीष यादव भी निशाने पर आ गये हैं।
उघैती थाना क्षेत्र के गाँव कोठा निवासी एक महिला 14 फरवरी 2017 को गैंग रेप की शिकार हुई थी, लेकिन एसओ प्रदीप यादव और दारोगा कमल यादव ने पीड़ित महिला के परिजनों को ही आरोपी बना दिया। पीड़ित बरेली रेंज के डीआईजी आशुतोष कुमार के समक्ष पेश हुई, तो उन्होंने प्रकरण की जाँच सहसवान क्षेत्र के सीओ श्योराज सिंह से जाँच कराई। जाँच में एसओ प्रदीप यादव और कमल यादव प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये, जिसकी आख्या सीओ ने डीआईजी को भेज दी।
जाँच आख्या के आधार पर डीआईजी ने प्रदीप यादव और कमल यादव को निलंबित कर दिया है, साथ ही दोनों के विरुद्ध विभागीय जाँच के आदेश किये हैं। डीआईजी का आदेश अभी तक जिला मुख्यालय पर नहीं आया है, लेकिन सूचना मिलने से ही जिले भर की पुलिस में हड़कंप मच गया है।
उधर थाना उसहैत के एसओ मनीष यादव की लापरवाही और भष्टाचार से संबंध प्रकरण भी डीआईजी के दरबार में पहुंच गया है। गाँव खेड़ा जलालपुर की रीता नाम की एक महिला पति से संबंध खराब होने के चलते मायके में ही रहती है, वह सरकारी स्कूल में भोजन पका कर किसी तरह जीवन यापन कर रही है। अबला समझ कर गाँव के ही दबंग उसके प्रति बुरी नीयत रखते हैं। 2 मार्च को शराब के नशे में धुत तीन सशस्त्र लोगों ने उसे घर में ही दबोचने का प्रयास किया, लेकिन साहसी महिला दबंगों से भिड़ गई, उसने एक की बंदूक पकड़ ली और शोर मचाती रही, जिससे मोहल्ले के लोग उसके घर की ओर दौड़ पड़े, तो दबंग बंदूक छोड़ कर भाग गये। पीड़ित ने बंदूक सहित थाने में नामजद तहरीर दी, लेकिन एसओ मनीष यादव ने एक आरोपी को धारा- 151 के तहत भेज कर मामला दबा दिया और जब पीड़ित ने जवाब मांगा, तो उसे हड़का कर भगा दिया। पीड़ित महिला ने डीआईजी से शिकायत पर कार्रवाई कराने की गुहार लगाई है।
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