बदायूं में हिंदूवादी संगठनों के कुछ खुरापाती तत्वों ने पति-पत्नी के आपसी मतभेद और दहेज के प्रकरण को तीन तलाक से जोड़ दिया, जिसकी पड़ताल किये बिना कुछेक मीडिया संस्थानों ने मुद्दा उछाल भी दिया, जबकि शौहर ने तलाक नहीं दिया है। फर्जी प्रकरण को तूल देने के कारण हिंदूवादी संगठनों और मीडिया संस्थानों की बड़ी फजीहत हो रही है।
मुस्लिम समाज में तीन तलाक का मुद्दा गर्माया हुआ है, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। तीन तलाक कुरीति है, जो समाप्त होनी चाहिए, लेकिन इसको लेकर अफवाह फैलाना भी गलत ही कहा जायेगा। बदायूं की कलेक्ट्रेट कॉलोनी निवासी चांदनी अधिवक्ता भी है, उसका निकाह कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सोथा-कादरी निवासी अकबर के साथ फरवरी 2016 में हुआ था। चांदनी के पिता ने दहेज में कार के साथ लाखों रूपए का सामान दिया था। आरोप है कि ससुराल पक्ष के लोगों ने और दहेज मांगा, जिसका पति सहित 8 लोगों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया जा चुका है, लेकिन विवेचना में जेठ, ननद, सास वगैरह निर्दोष साबित हो गये। शौहर अकबर दिल्ली में एक निजी अस्पताल में डॉक्टर है।
चांदनी का अब आरोप है कि जब वह गर्भवती थी, तो पति ने उसका अल्ट्रासाउंड करा कर पता लगा लिया कि पेट में बच्ची है, जिसके बाद उसे घर से निकाल दिया गया। पीड़ित ने मृत बच्ची को जन्म दिया था, लेकिन ससुराल वाले देखने तक नहीं आये और माता-पिता ने उसकी देख-भाल की। उसने विवेचक पर आरोप लगाते हुए एसएसपी से पुनः विवेचना कराने की मांग की है, लेकिन उसके साथ आये हिंदूवादी संगठनों के कुछ खुरापाती तत्वों ने विज्ञप्ति जारी कर दी, जिसमें लिखा है कि शौहर अकबर ने चांदनी को वाट्सएप पर तलाक दे दिया। चांदनी ने चैटिंग भी सार्वजनिक की है, जिसमें पति-पत्नी वाली नोंक-झोंक ही है, तलाक नहीं दिया गया है।
उक्त प्रकरण पूरी तरह हिंदूवादी संगठनों के खुरापातियों के दिमाग की उपज ही नजर आ रहा है, इससे तीन तलाक के मूल मुद्दे पर भी दुष्प्रभाव पड़ सकता है। मीडिया की हेडलाइन का हिस्सा बनने के उद्देश्य से फर्जी विज्ञप्ति जारी कर दी गई, जिसकी पड़ताल किये बिना कुछेक मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित भी कर दिया है, जिससे उनकी भी बड़ी फजीहत हो रही है।
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