व्यवसायी न बन कर मेहनत से अपनी पहचान बनायें युवा अधिवक्ता: न्यायमूर्ति

व्यवसायी न बन कर मेहनत से अपनी पहचान बनायें युवा अधिवक्ता: न्यायमूर्ति
युवा अधिवक्ताओं को संबोधित करते उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि युवा अधिवक्ताओं को अपनी कड़ी मेहनत एवं अथक परिश्रम से जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाना एवं दोषी व्यक्तियों को दण्डित कराने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ताओं को अपनी प्रैक्टिस विशेष ध्यान देना पड़ेगा, क्योंकि प्रैक्टिस से जो अनुभव एवं जानकारियां प्राप्त होंगी, वह उनके अधिवक्ता रूपी जीवन में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होंगी। उन्होंने कहा कि समाज में अच्छे लोगों के साथ-साथ बुरे लोग भी हैं, परन्तु समाज खराब नहीं है, बल्कि आवश्यकता है कि सिस्टम को खराब करने वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर नियमों के तहत दण्डित कराया जाये। उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ता व्यवसायी न बनकर थोड़ा और अधिक मेहनत कर अपनी प्रैक्टिस से अपनी अलग पहचान बनायें।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल आज लखनऊ के इन्दिरा भवन स्थित अपने कार्यालय के सभागार में उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा अधिकरण द्वारा अध्ययनरत् विधि छात्रों हेतु आयोजित त्रि-साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में विधि छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्याय प्रक्रिया में लगने वाले अत्यधिक समय को कम करने हेतु अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष समय से रखना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि न्याय प्रक्रिया में अत्यधिक समय लगने का कारण बहस हेतु सम्बन्धित अधिवक्ता को पूरी तैयारी के साथ भाग न लेना मुख्य कारण होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में न्याय प्रक्रिया पूर्ण होने में अत्यधिक समय लगने के साथ-साथ जरूरतमंद लोगों को समय से न्याय मिलने में विलम्ब होता है और दोषी व्यक्ति को दण्डित करने में अत्यधिक समय लगता है।

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि युवा अधिवक्ता अपने जीवन में अत्यधिक मेहनत कर अपनी पूरी ताकत के साथ ईमानदारी से कार्य कर समाज को बदलने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि समाज में समानता की पहल अवश्य होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि गरीब एवं अमीर में भेदभाव कर कोई कार्य नहीं करना चाहिये। उन्होंने कहा कि न्याय प्रक्रिया में कभी भी कोई ऐसा निर्णय नहीं होना चाहिये, जिससे शांति व्यवस्था खराब हो। उन्होंने कहा कि समाज में शांति व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुये समस्त पहलुओं पर विचार कर ही सामाजिक निर्णय लिया जाना समाज एवं न्याय हित में आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य लोक सेवा अधिकरण के सदस्यगण एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्यों सहित न्यायिक सेवा से जुड़े अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

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