बदायूं जिले के ठाकुरों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने द्वार बंद कर रखे हैं। जी हाँ, जिस भाजपा को खड़ा करने में जिले के ठाकुरों ने कड़ी मेहनत की, उस भाजपा का ठाकुर स्वयं को कार्यकर्ता तक नहीं बता सकते। ठाकुरों को भाजपाई न मानने की घटना जिले भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालात नहीं बदले तो ठाकुरों के आक्रोश का असर विधान सभा चुनाव में स्पष्ट नजर आयेगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सपा के पूर्व जिला सचिव अमर सिंह, सपा के पूर्व विधान सभा क्षेत्र अध्यक्ष मनोज विक्रम सिंह व म्याऊँ के ओमेन्द्र प्रताप सिंह ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, इस पर जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य का कहना है कि उक्त लोगों को पार्टी में लेने की प्रक्रिया अमान्य है, साथ ही कहा कि उनसे सहमति नहीं ली गई, इसलिए उक्त लोगों में से कोई भी पार्टी में नहीं है।
भाजपा जिलाध्यक्ष के बयान के बाद जिले भर में चर्चा होने लगी कि क्या ठाकुरों के लिए भाजपा के द्वार हैं? सवाल यह भी उठ रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह मिस कॉल से सदस्य बनने का आह्वान करते रहे हैं, सोशल साइट्स और एप के द्वारा सदस्य बनाने की बात कर रहे हैं, ऐसे में बदायूं के ठाकुरों को भाजपा का सदस्य और समर्थक बनने से पहले जिलाध्यक्ष से लिखित अनुमति लेनी पड़ेगी क्या?
उक्त घटना जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं। लोग तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि ठाकुरों के स्वाभिमान के साथ अभी इस तरह खिलवाड़ किया जा रहा है, ऐसे में अगर, किसी तरह सरकार बन भी गई, तो ठाकुरों के लिए हालात और अधिक भयावह हो सकते हैं। ठाकुर समाज के प्रतिष्ठित व आक्रोशित वर्ग का कहना है कि विधान सभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने से पहले एक बार गंभीरता से विचार करना पड़ेगा। यहाँ यह भी बता दें कि बदायूं जिले में मूल भाजपा है ही नहीं, यहाँ भाजपा के नाम पर सिर्फ अपने-अपने धड़े-धड़े हैं, जिनके मठाधीश स्वयं को भाजपा मानते हैं।
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