सोनरूपा की पवित्र साहित्यिक गंगा को आचमन करने की जगह प्रदूषित कर गये संतोष आनंद
कवि और लेखक बनने की अभिलाषा हर मन के अंदर रहती है। जिसके पास भाव हैं, विचार हैं, उसका मन भावों और विचारों को शब्दों में उतारने का भी करता है, फिर भी हर व्यक्ति कवि और लेखक नहीं बन सकता, क्योंकि कवि और लेखक चाहने से नहीं बन सकते। कवि और लेखक ईश्वरीय कृपा […]