राजस्थान के कोटा स्थित एक होटल में बदायूं निवासी पिता-पुत्री के शव मिलने पर अधिकांश लोग स्तब्ध हैं। पिता-पुत्री के शव आज बदायूं पहुंचे, तो कोहराम मच गया। हर कोई मृतकों के घर की ओर दौड़ पड़ा। हर आंख नम थी, इसके बावजूद दोनों के मरने की कहानी लोगों की समझ में नहीं आ पा रही है। अधिकाँश लोगों को यही लगता है कि मरने का जो कारण बताया जा रहा है, वो सच नहीं है। मृत्यु का सही कारण जानने में अधिकाँश लोगों की रूचि है, लेकिन घटना स्थल राजस्थान होने के चलते लोग अभी तक सच से अनिभिज्ञ हैं।
उल्लेखनीय है कि बदायूं के मोहल्ला जवाहरपुरी निवासी कुलदीप रस्तोगी (50) अपनी बेटी दीपांशी रस्तोगी (18) को कोचिंग करवाने के उददेश्य से राजस्थान के शहर कोटा ले गये थे। गुरुवार को उन्होंने कोटा स्टेशन के पास ही स्थित होटल गायत्री रेजिडेंसी में कमरा बुक कराया, जिसकी पहली मंजिल के रूम नंबर- 209 में रुके थे। शुक्रवार शाम को होटल का सफाई कर्मचारी रूम साफ करने पहुंचा, तो दरवाजा बंद मिला, उसने खटखटाया, तो भी दरवाजा नहीं खुला, तो होटल संचालक ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने छेद से अंदर झांका, तो कुलदीप का शव पंखे से लटका हुआ नजर आया एवं बिस्तर पर दीपांशी का शव पड़ा दिखाई दिया।
कोटा पुलिस ने मृतकों के परिजनों को सूचना दी, तो परिजन आनन-फानन में वहां पहुंचे। कोटा पुलिस कुलदीप के मरने का कारण आत्म हत्या बता रही थी एवं दीपांशी की मौत संदिग्ध मान रही थी। अगले दिन दोनों का पोस्टमार्टम हुआ, जिसके बाद शव परिजनों को सौंप दिए गये। परिजन आज शव लेकर पहुंचे, तो हर कोई उनके घर की ओर दौड़ पड़ा। पूरे मोहल्ले में हाहाकार मच गया। हर आँख नम है, लेकिन पिता-पुत्री के मरने का कारण लोगों के गले नहीं उतर रहा।
उल्लेखनीय है कि कमरे में कुलदीप द्वारा लिखा गया एक पत्र भी मिला, जिसमें लिखा है कि “मैं अपनी माैत का खुद जिम्मेदार हूँ। मैं आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर रहा हूँ। बेटा मैं आर्थिक तंगी के चलते तुम्हारा विकास नहीं कर पाया, हो सके तो मुझे माफ कर देना। बेटा, तुम मेरी मौत के बाद जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से संपर्क कर लेना।
उधर मृतक की पत्नी का कहना है कि उनकी शुक्रवार सुबह लगभग 8 बजे कुलदीप से बात हुई थी, तब कुलदीप ने बताया कि दीपांशी नहा रही है और वे दोनों 10 बजे कोचिंग जायेंगे, साथ ही पुलिस को मौके से एक रसीद मिली है, जिससे स्पष्ट है कि कुलदीप ने दीपांशी की कोचिंग सेंटर में फीस जमा करवा दी थी।
कुलदीप की आर्थिक स्थिति की बात करें, तो वे स्वयं एयरफोर्स में सार्जेंट के पद से रिटायर हैं, उनकी पत्नी क्षिप्रा रस्तोगी अध्यापक हैं और उनकी माँ भी रिटायर टीचर हैं, उनका बेटा दीपांश बी.टेक की पढ़ाई कर रहा है, मतलब आर्थिक स्थिति कमजोर नहीं है, इसलिए सवाल उठ रहा है कि मृतक ने सहज अंदाज में पत्नी से बात की एवं बेटी की फीस भी जमा करा दी, तो अचानक ऐसा क्या हो गया कि उसने आत्म हत्या कर ली?, साथ ही आर्थिक तंगी पहले से ही होती है, ऐसा ही होता, तो कुलदीप बेटी को लेकर कोटा न जाते और अगर वाकई, तंगी थी, तो उन्हें कोटा पहुँचने के बाद आर्थिक तंगी का अहसास क्यूं हुआ?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद गुत्थी और उलझ गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुलदीप ने आत्म हत्या की एवं दीपांशी की गला दबा कर हत्या की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सही माना जाये, तो और भी कई सवाल खड़े हो जाते हैं कि दीपांशी की हत्या पिता की मौत से पहले हुई, या बाद में? बाद में हुई, तो बंद कमरे में दीपांशी की किसी ने हत्या कैसे कर दी? सवाल यह भी है कि दीपांशी की कोई भी हत्या क्यूं करेगा? दीपांशी की हत्या पहले हुई, तो पिता के सामने कोई कैसे हत्या कर सकता है? पिता के सामने हत्या हुई, तो पिता ने परिजनों और पुलिस को सूचित क्यूं नहीं किया? दीपांशी की हत्या के बाद पिता ने आत्म हत्या क्यूं कर ली? पिता ने आत्म हत्या पहले की, तो दीपांशी ने परिजनों, या पुलिस को सूचित क्यूं नहीं किया? सर्वाधिक उलझाने वाला सवाल यह है कि कुलदीप ने सुसाइड नोट में बेटी दीपांशी के लिए यह क्यूं लिखा है कि बेटा, तुम मेरी मौत के बाद जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से संपर्क कर लेना। सुसाइड नोट से लग रहा है कि कुलदीप ने बेटी को जिंदा छोड़ा और उनकी मौत के बाद दीपांशी की हत्या हुई, जिससे फिर वही सवाल उठता है कि बंद कमरे में दीपांशी की कोई कैसे हत्या कर सकता है और जिंदा थी, तो उसने परिजनों को फोन क्यूं नहीं किया और दीपांशी चीखी-चिल्लाई क्यूं नहीं? स्पष्ट है कि पिता के आत्म हत्या करने से पूर्व ही दीपांशी की हत्या हो चुकी होगी, इस एक सवाल का जवाब मिल गया, ऐसे ही सारे सवालों के जवाब खोजने का प्रयास किया जाये, तो ऐसी कहानी बनती नजर आती है कि कल्पना करने भर से दिल कांप उठता है।