उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव जिस तरह ब्रांड के रूप में उभर कर सामने आये हैं, उसे समाजवादी पार्टी का नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है। पिछले दिनों हालात भयावह हो गये थे। तलवारें म्यान से बाहर आ गई थीं, जो लोक-लाज के चलते म्यान में वापस तो रख ली गईं, लेकिन दिल अभी भी नहीं मिले हैं, इसीलिए खुल कर कोई कहने को तैयार नहीं है कि बहुमत मिलने पर अगले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही होंगे। पूछने पर सवाल टाल दिया जाता है, अथवा कूटनीतिक जवाब दिया जाता है।
बरेली में मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री को लेकर किया गया सवाल टाल दिया, वहीं बुधवार को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने भी अखिलेश यादव को अगला मुख्यमंत्री बनाने की बात नहीं की। हालांकि इस पर मोहर लगनी आवश्यक नहीं है, पर पिछले दिनों के सपा के अंदर के हालातों के चलते हर कोई यह गारंटी चाहता है कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहेंगे, या नहीं? शिवपाल सिंह यादव तो यहाँ तक कह रहे हैं कि टिकट वितरण में अखिलेश से राय ली जायेगी, लेकिन उनका निर्णय नहीं माना जायेगा, इन्हीं कूटनीतिक चालों के चलते अखिलेश यादव स्वयं को समेटे हुए हैं और आज पिछली रैली की तरह ही बरेली भी नहीं आये। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ऐसे स्थानों पर बड़ी रैली आयोजित कर रहे हैं, जहाँ उनके विश्वास पात्र हैं। बरेली में वीरपाल सिंह यादव अखिलेश शासन में मनमानी नहीं कर पाये, जिससे वे भी बदले समीकरणों का लाभ लेने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। चूँकि रैली सपा सुप्रीमो के नाम से आयोजित की गई, सो तमाम षड्यंत्रों के बावजूद टीम अखिलेश भी रैली को सफल बनाने में जुटी रही। सांसद धर्मेन्द्र यादव स्वयं सब कुछ देख रहे थे और व्यक्तिगत रूप से भीड़ को लाने में जुटे हुए थे।
खैर, इस सबके बीच सपा के लिए सुखद खबर यह है कि बरेली में अपेक्षा से अधिक भीड़ जुट गई। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के पहुंचने से पहले ही मैदान पूरी तरह भर गया, जो बाद में छोटा पड़ गया। बरेली में जीआईसी का मैदान ही नहीं, बल्कि समूचा बरेली शहर सपा के ही रंग में नजर आ रहा था। बैनर, होर्डिंग्स, पोस्टर और झंडों से बरेली की ओर आने वाला हर मार्ग सजा हुआ था। भीड़ को देख कर गदगद नजर आ रहे सपा सुप्रीमो ने भी कह दिया कि बरेली मंडल की 25 विधानसभा सीटों पर उनकी नजर है, जबकि पिछले चुनाव में सपा को मंडल की 25 सीट में से 13 सीटों पर जीत प्राप्त की थी। जनसमूह से लबालब भरे सागर रूपी मैदान में हुंकार भरते हुए उन्होंने भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार आक्रमण किया, साथ ही कांग्रेस को भी देश को पीछे धकेलने वाली पार्टी करार दिया, जिस पर जनता ने उन्हें खुल करन समर्थन दिया।
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