जिस दांव से प्रो. रामगोपाल यादव ने अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव से दूर जाने को मजबूर कर दिया था, वैसे ही हथकंडे से अमर सिंह पुनः न सिर्फ मुलायम के पास आ गये, बल्कि महासचिव भी बना दिए गये हैं। अमर सिंह शक्ति के साथ ही लौटे हैं, तभी उनके मनोनयन पर कोई टिप्पणी नहीं कर पा रहा है, जबकि जिस तरह मुलायम ने अमर सिंह को महासचिव नियुक्त किया है, उससे महसूस किया जा सकता है कि मुलायम के इस निर्णय से सभी खुश नहीं हैं।
मुलायम सिंह यादव के दिशा-निर्देशों और पार्टी से संबंधित विज्ञप्तियों को प्रो. रामगोपाल यादव जारी करते रहे हैं। पिछले दिनों प्रो. रामगोपाल यादव की मंशा के विपरीत अखिलेश यादव को हटा कर शिवपाल सिंह यादव को सपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया, तो इसकी जानकारी प्रो. रामगोपाल यादव ने ही दी, लेकिन अमर सिंह के मनोनयन का पत्र हाथ से लिखा गया है। जाहिर है कि केन्द्रीय कार्यालय को अमर सिंह के मनोनयन की जानकारी तक नहीं दी गई होगी।
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अखिलेश को जनभावनाओं के अनुरूप लेना चाहिए निर्णय