अखिलेश ने अमर सिंह को नहीं बनने दिया महापुरुष, समझौता वार्ता निरस्त

अखिलेश ने अमर सिंह को नहीं बनने दिया महापुरुष, समझौता वार्ता निरस्त
अमर सिंह

एक बार फिर अखिलेश-मुलायम करीब आते-आते रह गये। अखिलेश ने अमर सिंह को त्यागी और महापुरुष बनने का अवसर नहीं दिया, जिससे समझौते की बात टल गई। अखिलेश अब राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व नहीं छोड़ेंगे। अब सिर्फ चुनाव आयोग का ही निर्णय माना जायेगा।

सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी का बहुमत अखिलेश के पक्ष में जाने से मुलायम का मनोबल टूट गया, वे मध्यस्थों द्वारा समझाने पर गुरुवार को समझौते के लिए तैयार हो गये। तमाम शर्तों के बीच अखिलेश की बड़ी शर्त यह थी कि अमर सिंह को पार्टी से निकाला जाये, इस पर मुलायम ने अमर सिंह से त्याग पत्र दिलाने का बीच का रास्ता निकाला, उन्होंने अपनी मंशा से अमर सिंह को अवगत करा दिया, तो अमर सिंह त्याग पत्र देने को तो तैयार हो गये, लेकिन अमर सिंह ने त्याग पत्र अपने अंदाज में देने को कहा।

सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह स्वयं को बड़ा त्यागी और महापुरुष घोषित करना चाह रहे थे, वे चाहते थे कि संयुक्त प्रेस वार्ता आयोजित की जाये, जिसमें उनके इधर-उधर मुलायम-अखिलेश बैठें और वे दोनों के बीच से हटने की स्वयं घोषणा करें। मुलायम ने शुक्रवार शाम चार बजे पत्रकारों को आमंत्रित कर लिया, लेकिन अखिलेश अमर सिंह के त्यागी और महापुरुष बनने की कहानी का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हुए और उन्होंने प्रेस वार्ता में जाने से मना कर दिया। आजम खां ने मुलायम को यही बताया कि समझौते की बात इस तरह नहीं हुई थी। अमर सिंह को निकाला जाये, अथवा अमर सिंह स्वयं त्याग पत्र दे दें, इस सबके बीच में अखिलेश नहीं आयेंगे, इसके बाद मुलायम द्वारा प्रेस वार्ता निरस्त कर दी गई।

त्यागी और महापुरुष बनने का अवसर नहीं मिलने पर अमर सिंह ने भी त्याग पत्र नहीं दिया, साथ ही पत्रकारों से बात कर मार्मिक और धार्मिक अंदाज में मुलायम को असहाय बताते हुए उनके साथ खड़े रहने की बात कही, वहीं अखिलेश और उनके हाल-फिलहाल कट्टर समर्थक नजर आ रहे नरेश अग्रवाल पर नाम लिए बिना हमला भी बोला, जिसके बाद समझौते की बात खत्म हो गई।

असलियत में वाया अमर सिंह मुलायम डाल-डाल चलना चाह रहे हैं, वे किसी तरह सब कुछ अपने पक्ष में लाना चाहते हैं, लेकिन अब अखिलेश फंस नहीं रहे हैं, वे पत्ते-पत्ते पर चलना सीख गये हैं, सो उन्होंने सुलह के द्वार ही बंद कर दिए। सूत्रों का कहना है कि अब अखिलेश किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व नहीं छोड़ेंगे और अब चुनाव आयोग का ही निर्णय मानेंगे।

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