बदायूं सदर क्षेत्र से भाजपा विधायक महेश चंद्र गुप्ता के आग्रह पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने जिलाधिकारी को सोत नदी कब्जा मुक्त कराने का आदेश दिया है, जिस पर सीडीओ की अध्यक्षता में कमेटी बन चुकी है, पर कमेटी सिर्फ खानापूर्ति करती नजर आ रही है। अफसरों की कार्यप्रणाली से लग रहा है कि मुद्दे को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, इसलिए कार्रवाई की गति बेहद धीमी चल रही है।
बदायूं शहर को कभी जीवन देने वाली उत्तर से दक्षिण तक फैली सोत नदी की प्रशासन के सामने ही हत्या कर दी गई। सोत नदी का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो चुका है। हाल-फिलहाल सोत नदी सिर्फ कागजों में ही बची है। सोत नदी को कब्जा मुक्त कराने का मुद्दा सपा सरकार में उठा, तब भी टीम गठित हुई, लेकिन टीम कुछ नहीं कर पाई। निवर्तमान जिलाधिकारी पवन कुमार ने रूचि दिखाई, लेकिन उनके दिशा-निर्देश पर भी कुछ नहीं हो पाया। चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी के रूप में महेश चंद्र गुप्ता ने सोत नदी को मुद्दा बनाया, वे चुनाव जीत गये और भाजपा की सरकार भी बन गई। सरकार बनने के बाद भी उन्होंने अपना संकल्प दोहराया, साथ ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से मिलते ही सोत नदी को कब्जा मुक्त कराने का आग्रह किया, इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल जिलाधिकारी अनीता श्रीवास्तव से फोन पर बात की और सोत नदी को विधिवत कब्जा मुक्त कराने का आदेश दिया।
मुख्यमंत्री के आदेश के क्रम में जिलाधिकारी ने सीडीओ की अध्यक्षता में टीम घटित कर सोत नदी को कब्जा मुक्त कराने का आदेश दे दिया। सीडीओ के निर्देशन में टीम सोत नदी के क्षेत्रफल को नाप रही है। सीडीओ मौके पर चले जायें, तो टीम फीता उठा कर फोटो खिंचाने लगती है और उनके जाते ही बैठ जाती है। यहाँ विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार और एसडीएम ने कब्जा कराया है, वही कब्जा हटाने को लगाये गये हैं। बताते हैं कि रिकॉर्ड के साथ भी छेड़छाड़ की गई है। सोत नदी के प्रकरण में कार्रवाई हो जाये, तो यह सब लोग भी कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे, इसलिए सभी अफसर और कर्मचारी मुद्दे को दबाने में जुटे हुए नजर आ रहे हैं।
इसके अलावा सोत नदी की जमीन पर सरकारी धन से सड़क बनवाई जा रही है। दबंग कब्जाधारियों के प्रभाव में पूर्व में प्रस्ताव पास किए जा चुके हैं, जिन पर कार्य अब हो रहा है, इसलिए सवाल उठता है कि सोत नदी की जमीन पर बन रही सड़कों को प्रशासन तत्काल क्यों नहीं रुकवा रहा?, इसीलिए प्रशासन की मंशा पर भी सवाल उठ रहा है।
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