हर सफल आदमी का चमकदार के साथ एक स्याह पहलू भी होता है। 3 जून, 1930 को जन्मे जॉर्ज फर्नांडिस हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन भाषा के जानकार थे। विद्वान् के साथ वे जुझारू नेता थे। मुंबई में क्रांतिकारी कार्य किये, जघन्य आरोप लगे, इमरजेंसी को झेला, कारगिल फतेह किया, पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, साथ ही उनके उल्लेखनीय राजनैतिक योगदान के बारे में सभी जानते ही हैं पर, कहा जाता है कि उनके तमाम महिलाओं से आंतरिक संबंध भी रहे। लैला से विधिवत विवाह किया, जो जया जेटली के कारण बर्बाद हो गया।
कहा जाता है कि कोलकाता से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का इंतजार करते समय जॉर्ज फर्नाडिस को एक युवती दिखी, जो रेडक्रॉस में अधिकारी थी, वह दिल्ली लौट रही थी। जॉर्ज युवती के पास गये तो, पहले की छोटी सी मुलाकात के कारण दोनों ने एक-दूसरे को पहचान लिया, जिसके बाद बातें शुरू हो गईं।
विमान में भी जॉर्ज युवती के बराबर वाली सीट पर बैठे, जिससे बातों का सिलसिला चलता रहा। युवती लैला कबीर थी, जो रेडक्रॉस में असिस्टेंट डायरेक्टर होने के साथ जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्यमंत्री रह चुके जाने-माने शिक्षाविद हुमायूं कबीर की बेटी थी। दिल्ली में विमान से उतरने के बाद जॉर्ज ने लैला को घर पर छोड़ने की पेशकश की, जिसे लैला ने अस्वीकार कर दिया।
जॉर्ज ने लैला को देखते ही जीवन संगिनी बनाने का मन बना लिया था। लैला भी समझ गईं तभी, वे भी सहज हो गईं। मुलाकातें होने लगीं और मात्र तीन महीने के अंदर ही 22 जुलाई 1971 को दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद जॉर्ज का कद बढ़ता गया, उनकी व्यस्ततायें भी बढ़ती गईं, जो दांपत्य जीवन में दूरी का कारण बनने लगीं।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जॉर्ज फर्नाडिस मंत्री बनाये गये, अशोक जेटली उनके सचिव थे, उनकी पत्नी जया जेटली से भी परिचय हो गया तो, वे निजी कार्यालय संभालने लगीं, जॉर्ज की नजदीकियां बढ़ने लगीं। अशोक और जया की लव मैरिज हुई थी, जया बड़े परिवार से संबंध रखती हैं, उनके पिता जापान में भारत के पहले राजदूत बने थे लेकिन, जॉर्ज के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना वे रह न सकीं।
कहा जाता है कि जया के कारण लैला ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था। जुलाई 1979 में केंद्र में राजनैतिक घटनाक्रम बदल रहा था, जॉर्ज फर्नाडिस ने मंत्रिमडल से त्याग पत्र दिया, उन्होंने मोरारजी सरकार को हिला दिया, वे चरण सिंह के नजदीक चले गये तभी, खबर आई कि लैला अस्पताल में भर्ती है, जहाँ सब लोग पहुंचे थे। परेशान लैला ने एक बार तलाक का नोटिस भी भेजा था लेकिन, जॉर्ज ने नोटिस स्वीकार नहीं किया और अपनी मां के सोने के कंगन के साथ नोटिस वापस कर दिया।
एक समय बुद्धिमान मनुष्य भी निर्णय नहीं ले पाता, वह दोनों किनारे पकड़ कर रखना चाहता है, सो जॉर्ज भी जया से दूर नहीं जा पाये तो, लैला 1984 में बेटे सुशांतो फर्नांडीज उर्फ सीन के साथ अमेरिका चली चली गईं, न्यूयार्क में रहने लगीं, जहाँ सुशांत बड़े बैंकर बन गये। समय गुजरा, जॉर्ज नाम का सूरज अवसान की ओर जाने लगा, उन्हें अल्जाइमर और पक्षाघात हो गया, यह सुन कर 25 साल बाद अचानक लैला जॉर्ज की जिंदगी में लौट आईं। कहा जाता है कि संपत्ति बड़ा कारण थी, न्यायिक जंग हुई, न्यायालय ने जया के घर आने और जॉर्ज से मिलने पर रोक लगा दी, अस्वस्थ जॉर्ज पत्नी के हवाले हो गये और 88 साल की उम्र में 29 जनवरी 2019 को उन्होंने अंतिम साँस लेते हुए इस जहाँ को अलविदा कह दिया।
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