शाहजहाँपुर के बहशी कथित संत चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह कांड के मुख्य गवाह ने अपने साथ अनहोनी होने की आशंका जताई है। पीड़ित ने न्यायालय के साथ एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा देने की गुहार लगाई है। अप्रिय घटना होने पर पीड़ित ने शासन-प्रशासन के जिम्मेदार होने की बात कही है, इस प्रकरण में कथित पीड़िता न्यायालय में अपने बयान बदल चुकी है।
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उल्लेखनीय है कि 24 अगस्त, 2019 को फेसबुक पर बहशी चिन्मयानंद के ही कॉलेज की एक छात्रा ने फेसबुक पर एक वीडियो शेयर कर बिना नाम लिए यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, साथ ही कहा था कि उसे और उसके परिवार को एक बड़े संत से खतरा है। पीड़िता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी, इस वीडियो के सार्वजनिक होने के बावजूद मीडिया कुछ नहीं कह रहा था लेकिन, गौतम संदेश ने पहली बार इस खबर को प्रकाशित किया तो, हड़कंप मच गया था। 27 सितंबर को दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने बहशी चिन्मयानंद के विरुद्ध अपहरण और धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया था। दहशत के चलते फरार हो चुकी छात्रा 30 अगस्त को राजस्थान के दौंसा जिले में स्थित मेहंदीपुर में मिली थी, इस बीच कई अश्लील वीडियो भी वायरल हुए, जो देश भर में चर्चा का विषय बन गये थे, इन वीडियो में बहशी चिन्मयानंद नग्न अवस्था में पीड़िता से मालिश करवाता हुआ दिख रहा था।
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उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रदेश सरकार ने एसआईटी गठित की थी, जिसके बाद सितंबर 2019 में यौन शोषण के आरोपी बहशी चिन्मयानंद की मुमुक्ष आश्रम से गिरफ्तारी हुई थी। फरवरी में चिन्मयानंद को जमानत मिल गई थी, मुकदमा में पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराये थे, उन बयानों की कॉपी के लिए चिन्मयानंद छट-पटा रहा था। उच्च न्यायालय ने कॉपी देने का आदेश दे भी दिया था, जिस पर बाद में उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी। फिलहाल उक्त मुकदमा लखनऊ स्थित एमपी-एलए न्यायालय में विचारधीन है, इस मुकदमा में संजय नाम का युवक मुख्य गवाह है, इसके अलावा बहशी चिन्मयानंद के वकील की ओर से 25 अगस्त 2019 की रात को शाहजहांपुर स्थित कोतवाली में रंगदारी मांगने का एक मुकदमा अज्ञात के विरुद्ध दर्ज कराया गया था, इस मुकदमे में पीड़िता और उसके साथियों को भी जेल जाना पड़ा था, इसमें संजय भी आरोपी है।
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अब संजय ने न्यायालय के साथ एसएसपी को एक प्रार्थना पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि वह तारीखों पर जाता है, इस दौरान कुछ अज्ञात लोग उसे परेशान कर रहे हैं, उसने सुरक्षा देने की मांग की है। प्रार्थना पत्र में लिखा है कि कोई अप्रिय घटना होने पर शासन-प्रशासन जिम्मेदार होगा। यह भी बता दें कि लखनऊ स्थित एमपी-एमएलए न्यायालय के विशेष जज पवन कुमार राय के समक्ष पीड़िता 9 अक्टूबर को आरोपों से मुकर गई थी, जिसके बाद विशेष जज ने अभियोजन को सीआरपीसी की धारा- 340 के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दायर करने का आदेश दे दिया था।
सरकारी वकील अभय त्रिपाठी ने प्रार्थना पत्र में कहा था कि पांच सितंबर, 2019 को पीड़िता ने स्वयं इस मामले की एफआईआर नई दिल्ली के थाना लोधी कॉलोनी में दर्ज कराई थी। एफआईआर को उसके पिता की ओर से शाहजहांपुर में दर्ज कराई गई पहली एफआईआर के साथ संबंद्ध कर दिया गया था, इसके बाद एसआईटी ने जांच शुरू की थी, उसने सीआरपीसी की धारा- 161 के अंतर्गत पीड़िता का बयान दर्ज किया था, इसके बाद शाहजहांपुर में संबधित मजिस्ट्रेट के समक्ष भी उसका कलमबंद बयान दर्ज हुआ, इन दोनों बयानों में पीड़िता ने एफआईआर में वर्णित घटना का समर्थन किया था लेकिन, बीते नौ अक्टूबर को अदालत में इस मामले की गवाही के दौरान पीड़िता ने जानबूझकर अपना बयान बदल दिया। पीड़िता ने कहा कि मैंने अराजक तत्वों के दबाव में यह सब किया था, ऐसा लगता है कि उसके व अभियुक्त के मध्य समझौता हो गया है। लिहाजा उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा- 340 के अंतर्गत विधिक कार्यवाही की जाए।
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