बदायूं जिले की पुलिस यौन उत्पीड़न की वारदातों को गंभीरता से नहीं लेती। पुलिस घटना को दबाने का प्रयास करती है एवं गलत धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करती है, जिसका लाभ दरिंदों को ही मिलता है। दलित वर्ग की छात्रा का तीन दरिंदों ने सामूहिक यौन उत्पीड़न किया, लेकिन पुलिस ने मुकदमा गलत धाराओं के अंतर्गत पंजीकृत किया है, जबकि मेडिकल परीक्षण में यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है।
जघन्य वारदात मूसाझाग थाना क्षेत्र के गाँव करौलिया की है। दलित वर्ग की बीए की छात्रा गाँव की ही चक्की पर आटा लेने गई थी, तो उससे कहा गया कि अंदर जाकर अपना कट्टा निकाल लाओ, वह अंदर घुसी, तभी उसे दबोच लिया। आरोप है कि तीन दरिंदों ने बारी-बारी से उसका यौन उत्पीड़न किया। मुक्त होने के बाद पीड़ित ने परिजनों को बताया, तो परिजन पुलिस की शरण में गये, लेकिन पुलिस टालती रही। परिजनों ने शीर्ष अफसरों के पास जाने की बात कही, तो पुलिस ने छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया एवं पीड़ित को मेडिकल परीक्षण के लिए मुख्यालय भेज दिया।
महिला अस्पताल में हुए मेडिकल परीक्षण में यौन शोषण की पुष्टि हुई है। घटना सोमवार की है, लेकिन पुलिस ने अभी तक आरोपियों से पूछताछ तक नहीं की है। आरोपी गाँव में खुलेआम घूम रहे हैं, जो पीड़ित को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। सामूहिक यौन उत्पीड़न की जघन्य वारदात को लेकर लापरवाही बरतने वाली पुलिस के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में अन्य कोई पीड़ित के साथ अन्याय न कर सके।
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