भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़े और अनुसूचित वर्ग को लुभा लिया तो, भारतीय जनता पार्टी सर्वशक्तिमान और अजेय हो गई। प्रदेश और देश में अकेले दम पर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो गई। बात उत्तर प्रदेश की करें तो, पिछड़े वर्ग में सेंध लगते ही समाजवादी पार्टी हाशिये पर खिसक गई। अखिलेश यादव को अपने काम के बल पर पुनः लौटने की पूरी उम्मीद थी लेकिन, अप्रत्याशित हार का मुंह देखना पड़ा। संभवतः हार की समीक्षा में उन्होंने पाया होगा पिछड़ा वर्ग खिसक गया है, जिसे जोड़ने की दिशा में पहल शुरू कर दी गई है।
पिछले कुछ वर्षों में महान दल सक्रिय हुआ है, जो दिखता तो चुनाव के दिनों में ही है पर, कुछेक क्षेत्रों में चर्चित और प्रभावशाली दलों के प्रत्याशियों का गणित गड़बड़ा देता है। गठबंधन कर के कुछेक क्षेत्रों में संबंधित दल का टैंपो हाई कर देता है। महान दल को मौर्य, शाक्य, कुशवाह, सैनी समाज का प्रतिनिधि माना जाता रहा है। यादवों और मुस्लिमों के साथ मौर्य, शाक्य, कुशवाह और सैनी भी जुड़ जायें तो, समाजवादी पार्टी निश्चित ही भारतीय जनता पार्टी को मात दे देगी।
विश्व के साथ देश और प्रदेश कोविड- 19 से जूझ रहा है लेकिन, समाजवादी पार्टी चुपके से मिशन: 2022 की तैयारियों में जुटी नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी और महान दल की ओर से किसी भी तरह की घोषणा नहीं की गई है पर, मौर्य बाहुल्य क्षेत्रों की दीवारों पर “मिशन: 2022, महान दल जिंदाबाद, समाजवादी पार्टी जिंदाबाद” लिखा जाने लगा है। जाहिर है कि ऐसे नारे तभी लिखे जा रहे हैं जब अखिलेश यादव और केशव देव मौर्य के बीच कोई बात हो गई होगी।
अखिलेश यादव और केशव देव मौर्य के बीच बात होने की जानकारी नहीं है। सच का खुलासा तभी हो सकेगा जब समाजवादी पार्टी और महान दल की ओर से कोई अधिकारिक बयान आएगा। फिलहाल दीवारों पर लिखे जा रहे नारे आम जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं लेकिन, सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी के पास केशव प्रसाद मौर्य हैं, जो उप-मुख्यमंत्री भी हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य हैं, जो कैबिनेट मंत्री हैं और उनकी बात सरकार में गंभीरता से सुनी भी जाती है, उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, यह चेहरे मौर्य, शाक्य, कुशवाह और सैनी समाज को लुभाने को काफी हैं, ऐसे में महान दल के सहारे समाजवादी पार्टी क्या कर पायेगी?
बदायूं लोकसभा क्षेत्र से अखिलेश यादव के अनुज धर्मेन्द्र यादव को भाजपा प्रत्याशी के रूप में संघमित्रा मौर्य ने हराया था। कहा जाता है कि संघमित्रा मौर्य ने भाजपा के परंपरागत वोटों के साथ संपूर्ण मौर्य समाज को एकजुट कर लिया था, साथ ही उन्होंने बड़ी संख्या में यादवों को भी लुभा लिया था तभी, अजेय कहे जा रहे धर्मेन्द्र यादव आसानी से हार गये थे। माना जा रहा है कि महान दल के सहारे मौर्यों को लुभा कर भाजपा को पटखनी देने की रणनीति पर धर्मेन्द्र यादव गंभीरता से जुटे हुए हैं। बदायूं जिला समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था पर, वर्तमान में पांच विधायक और सांसद भाजपा की झोली में हैं। बदायूं को समाजवादी पार्टी का गढ़ पुनः बनाने के लिए धर्मेन्द्र यादव अंदर ही अंदर जुटे हुए हैं, उनके आह्वान पर ही डॉ. नवलकिशोर शाक्य बिल्सी विधान सभा क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं, जो भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के पूर्व पति भी हैं।
खैर, राजनीति में कुछ भी संभव है। कोरोना माहमारी के बीच लिखे जा रहे “मिशन: 2022, महान दल जिंदाबाद, समाजवादी पार्टी जिंदाबाद” के नारे अंदर ही अंदर कुछ न कुछ खिचड़ी पकने का संकेत जरुर दे रहे हैं, यह खिचड़ी कितनी स्वादिष्ट होगी, इस बारे में अभी कयास लगाना जल्दबाजी ही कही जायेगी। हाँ, इतना तय है कि समाजवादी पार्टी और महान दल के बीच पक रही खिचड़ी की भनक लगने से तमाम लोगों को गहरा आघात पहुंच सकता है।
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