बदायूं जिला यौन उत्पीड़न की जघन्य वारदातों को लेकर पहले से ही विश्व भर में कुख्यात है, इस दिशा में रोक लगने की जगह और निंदनीय वारदातें घटित हो रही हैं। यौन उत्पीड़न की वारदातों को रोकने की दिशा में पुलिस-प्रशासन को जमीनी स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है।
ताजा वारदात सहसवान कोतवाली क्षेत्र के गाँव औरंगाबाद टप्पा की है, यहाँ पिता ने ही 11 वर्षीय अपनी बच्ची का यौन उत्पीड़न कर दिया। दरिंदे पिता के चंगुल से मुक्त होने के बाद बेटी ने चाचा को भयावह सच बताया, तो चाचा ने मुकदमा दर्ज करा दिया। पीड़ित को मेडिकल परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया है। बच्ची अवसाद ग्रस्त है, इसी तरह वजीरगंज थाना क्षेत्र के गाँव उदयपुर में कूड़ा डालने गई किशोरी को तमंचे के बल पर अगवा कर लिया और फिर यौन उत्पीड़न के बाद उसे मुक्त कर दिया। पीड़िता के भाई की तहरीर पर बगरैन चौकी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
यौन उत्पीड़न की वारदातों को लेकर बच्चियां और उनके अभिवावक डरे-सहमे हैं, लेकिन यह वारदातें सिर्फ पुलिस नहीं रोक सकती। यौन उत्पीड़न की वारदातों को जागरूकता अभियान के द्वारा ही रोका जा सकता है। पुलिस-प्रशासन को स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज और ग्राम पंचायतों के सहयोग से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में गोष्टियाँ आयोजित कर लोगों को जागरूक करना चाहिए।
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